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मेला भूमि को चिन्हित कर जल्द बैरागी संतों के लिए आवंटित किया जाए-श्रीमहंत राजेंद्रदास

विक्की सैनी/राकेश वालिया

बैरागी कैंप में मेला कार्य समय से पूरे कराए प्रशासन-श्रीमहंत नरेंद्र गिरी

हरिद्वार, 21 नवंबर। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बैरागी कैंप पहुंचकर तीनों बैरागी अखाड़ों के संतों से कुंभ मेला कार्यो को लेकर चर्चा की। चर्चा के दौरान श्रीपंच निर्मोही अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि बैरागी कैंप की मेला भूमि को चिन्हित कर जल्द से जल्द बैरागी संतों के लिए आवंटित किया जाए। हालांकि उन्होंने कहा कि प्रशासन मेला रिकार्ड और परंपरांओं को जारी रखते हुए बैरागी अखाड़ों को लिखित रूप में जमीन आवंटित करे। बैरागी अखाड़ों के संतों द्वारा कोविड नियमों का पालन करते हुए ही कुंभ मेले के स्वरूप को प्रशासन के साथ समन्वय कर तय किया जाएगा और परिस्थिति के अनुसार ही संतों की संख्या पर भी विचार किया जाएगा। श्रीपंच निर्वाणी अणि अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि बैरागी कैंप क्षेत्र प्राचीन काल से ही बैरागी संतों के लिए आरक्षित भूमि रही है। मेले का स्वरूप समय और परिस्थिति के अनुसार तय होगा। लेकिन प्रशासन को अपनी तैयारियां समय पर पूरी करनी चाहिए। क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कर बिजली, पानी, शौचालय, सड़क आदि का निर्माण समय से पूरा किया जाए। महंत गौरीशंकर दास व महंत रामशरण दास महाराज ने कहा कि मेला प्रारम्भ होने में बहुत कम समय शेष रह गया है। प्रशासन को युद्ध स्तर पर कार्य करने चाहिए। जिससे समय रहते सभी व्यवस्थाएं लागू हो सकें। उन्होंने कहा कि अखाड़ों की समस्याओं की जानकारी लेते हुए मेला प्रशासन को समय समय पर संतों की राय भी लेनी चाहिए। जिससे मेले के दौरान आने वाले किसी भी श्रद्धालु भक्त व संत महापुरूषों को कठिनाई का सामना ना करना पड़े।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेले को लेकर रविवार को मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक में बैरागी कैंप का मसला प्रमुखता से रखा जाएगा। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाएगा कि बैरागी संतों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की अद्भूत पहचान है। सभी तेरह अखाड़ों के सहयोग से कुंभ मेला सकुशल संपन्न होगा। इस दौरान महंत कृष्णदास, महंत रामजीदास, योगीराज बाबा, महंत सिंटूदास, महंत अगस्तदास आदि उपस्थित रहे।

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