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परंपराओं से छेड़खानी ना करें वरना हरिगिरी महाराज को जूना अखाड़ा छोड़कर भागना पड़ेगा-श्रीमहंत राजेंद्रदास

राकेश वालिया

हरिद्वार, 30 जनवरी। एक समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार वैष्णव संतों द्वारा किन्नर अखाड़े को मान्यता देने का खण्डन करते हुए तीनों वैष्णव अखाड़ों के श्रीमहंतों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने प्रैस को जारी बयान में कहा है कि किन्नर अखाड़े का कोई दल समूह नहीं है। यह सब व्यक्ति विशेष हैं। जो हर जगह अव्यवस्था फैला रहे हैं। किन्नर समुदाय अखाड़ों की आदि अनादि परम्पराओं से कोई छेड़खानी ना करें। अपनी मर्यादा में रहें और मर्यादा में ही रहकर चलें। किन्नर कभी वृन्दावन, कभी प्रयागराज, कभी हरिद्वार आकर संतों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने मेला अधिकारियों को अवगत कराया कि किन्नर कोई अखाड़ा नहीं है और न ही इसमें कोई महामण्डलेश्वर है और अखाड़ा शब्द का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। उन्होंने किन्नरों से आग्रह किया कि अखाड़ा शब्द अपने आगे न लगायें और अपनी मर्यादा में रहें। उन्होंने अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज को चेताया कि अखाड़ों की परम्पराओं के साथ छेड़खानी ना करें। नहीं ता वह दिन दूर नहीं है जब हरिगिरी महाराज जूना अखाड़ा छोड़कर भागना पड़ेगा। श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास एवं दिगम्बर अनी अखाड़े के श्रीमहंत किशनदास महाराज ने कहा कि किसी भी कीमत पर किसी भी समुदाय अथवा दल को चैदहवें अखाड़े की मान्यता नहीं दी जा सकती। अनादि काल से प्रचलित परंपरांओं का सभी को निर्वहन करते हुए सनातन धर्म के संरक्षण संवर्द्धन में अपना योगदान देना चाहिए।

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