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तपोनिधि श्री पंचायती आनन्द अखाड़े में धर्मध्वजा स्थापित

विक्की सैनी


एकता व एकजुटता का संदेश देता है कुंभ मेला-स्वामी सागरानंद सरस्वती

हरिद्वार, 27 फरवरी। तपोनिधि श्री पंचायती आनन्द अखाड़े के अध्यक्ष स्वामी सागरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि कुंभ मेला सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। कंुभ मेले के दौरान देश भर से आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान कर एकता व एकजुटता का संदेश पूरे विश्व को देते हैं। आनन्द अखाड़े में धर्मध्वजा स्थापना के दौरान उन्होंने कहा कि धर्मध्वजा की स्थापना कर कंुभ मेले का श्रीगणेश कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकार को कुंभ मेले से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं को समान रूप से लागू कराना चाहिए। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को अखाड़ों आश्रमों में पहुंचकर व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर बिजली, पानी, शौचालय व साफ सफाई के विशेष इंतजाम कराने चाहिए। कुंभ मेले के अधिकारियों को भी धर्मध्वजा स्थापना के बाद आश्रम अखाड़ों के संतों से लगातार व्यवस्थाओं को लेकर मंत्रणा करनी चाहिए। किसी भी रूप में संत महापुरूषों को कुंभ मेले की व्यवस्थाओं में दिक्कतें नहीं आनी चाहिए। भारतीय संस्कृति व सनातन परंपराओं का केंद्र बिन्दु कुंभ मेला है। सनातन धर्म की विशेषताएं प्रचारित प्रसारित होती हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि धर्मध्वजा की स्थापना हर्षित करने वाला पल है। गौरव की बात है कि कोरोना के बावजूद देश में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। इससे संपूर्ण विश्व में एक सकारात्मक संदेश प्रसारित होगा। अखाड़े के श्रीमहंत गिरजानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि धर्मध्वजा स्थापित होने के साथ ही कुंभ मेले की शुरूआत हो गयी है। अखाड़े के रमता पंच हरिद्वार पहुंच गए हैं। निरंजनी अखाड़े के साथ ही आनन्द अखाड़े के संत कुंभ स्नान करेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते कुछ देरी अवश्य हुई है। लेकिन कुंभ मेला दिव्य व भव्य रूप से संपन्न होगा। कुंभ के दौरान हरिद्वार के गंगा तटों पर होने पर विशाल संत समागम देश दुनिया को नई दिशा देगा। अखाड़े के सचिव श्रीमहंत शंकरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों ने हमेशा ही समाज को नई दिशा दी है। कुंभ के दौरान होने वाले संत महापुरूषों के दिव्य प्रवचन एक बार फिर पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेंगे। एडवोकेट अरविन्द शर्मा ने फूलमाला पहनाकर संत महापुरूषों का स्वागत करते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार को एसओपी व दिशा निर्देशों के नाम पर कुंभ मेले में स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं पर अधिक कड़ाई नहीं करनी चाहिए। जिससे अधिक से अधिक लोग कुंभ स्नान के पुण्य अवसर का लाभ उठा सकें। सचिव महंत कैलाशपुरी, श्रीमहंत दिवाकर पुरी, श्रीमहंत सत्यगिरी, श्रीमहंत साधनानंद, श्रीमहंत भैरव गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत ओमकार गिरी, दिगंबर बलवीर पुरी, दिगंबर आशुतोष पुरी, स्वामी रघुवन, महंत दिवाकर पुरी, महंत गंगा गिरी, महंत सदगिरी, महंत कालूगिरी आदि संत मौजूद रहे।

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