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धर्म रक्षा व मानव कल्याण के लिए हुआ भगवान श्रीचंद्र का अवतरण-स्वामी गौरीशंकर दास

विक्की सैनी

हरिद्वार, 27 अगस्त। साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि उदासीनाचार्य जगद्गुरू भगवान श्रीचंद्र का अवतरण वैदिक सनातन धर्म की रक्षा के साथ साथ समस्त मानवता के कल्याण के लिए हुआ। जिन्होंने अपने जीवन साहित्य से समाज को समरसता का संदेश देकर संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन किया। सभी को उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा लेकर मानवता व धर्म की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। भूपतवाला स्थित साधुबेला आश्रम में भगवान श्रीचन्द्र का 526वां प्रकाशोत्सव मनाया गया। इस दौरान वैदिक मंत्रों द्वारा भगवान श्रीचंद्र का दुग्धाभिषेक किया गया और कोरोना महामारी से मुक्ति व मानव जाति के कल्याण के लिए अरदास व आरती की गयी। श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीचंद्र भगवान के उपदेशों को अपने जीवन में धारण कर आत्मकल्याण का करना चाहिए। क्योंकि भगवान श्रीचंद्र का अवतरण निवृत्ति प्रधान सनातन धर्म के प्रचार एवं पुनुरूद्धार के लिए हुआ। जिन्होंन संपूर्ण विश्व में भ्रमण कर धर्म का प्रचार कर मानवता की अलख जगायी। संत समाज उनके आदर्शो को अपनाकर समाज का मार्गदर्शन कर रहा है। और सेवा के प्रकल्पों के माध्यम से राष्ट्र कल्याण में अपना अहम योगदान प्रदान कर रहा है। स्वामी बलराम मुनि महाराज ने कहा कि उदासीनाचार्य जगद्गुरू भगवान श्रीचंद्र संत समाज के आदर्श हैं। जिन्होंने उदासीन आश्रमों का शिलान्यास करके सनातन धर्म को गति देने का कार्य किया। उन्हीं के बताए मार्ग पर चलकर संत महापुरूष समाज का कल्याण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रीचंद्र भगवान आत्मनिष्ठ, योग साधना व पारदर्शिता के धनी थे। जिन्हों समाज को एकता के सूत्र में बांधकर राष्ट्र में एकता व अखण्डता कायम की। संत समाज उनको नमन करता है। इस दौरान गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णुदत्त पुनेठा, पहलवान बाबा, स्वामी हरिहरानंद जीतू भाई व सुनील आदि उपस्थित रहे।

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