हरिद्वार, 19 जुलाई। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के वयोवृद्व पूर्व अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत सोहनगिरि महाराज के ब्रह्मलीन होने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीमहंत सोहन गिरी का निधन संत समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है। त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति 105 वर्षीय ब्रहमलीन श्रीमहंत सोहन गिरि पूरे संत समाज में अत्यंत लोकप्रिय थे। जीवन के अन्तिम समय तक उन्होंने पूरी तरह से सक्रिता से समाज और देश की सेवा में अपना योगदान दिया। युवा संतों को उनके आदर्शो व उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए धर्म व देश सेवा में योगदान करना चाहिए। मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सोहनगिरी महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत थे। उनके निधन से संत समाज को गहरा आघात लगा है। सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सोहनगिरी महाराज एक तपस्वी संत थे। उनके अचानक चले जाने से जूना अखाड़े को जो क्षति पहुंची है। उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता है। उनके बताए मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। निर्मल अखाड़े के श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज व कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सोहनगिरी महाराज संतों के बड़े चहेते थे। उन्होंने सदा संत समाज को एकजुट करने में और धर्म के प्रचार प्रसार में अपना पूरा जीवन समर्पित किया। स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत धर्मदास, श्रीमहंत राजेंद्रदास, जगद्गुरू स्वामी अयोध्याचार्य महाराज, महंत रघुवीर दास, महंत विष्णुदास, म.म.स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती, महंत देवानंद सरस्वती, महंत ललितानंद गिरी, म.म.स्वामी हरिचेतनानंद, महंत दामोदर दास, स्वामी कपिल मुनि, महंत प्रेमदास, स्वामी राजेंद्रानंद, महंत गोविन्ददास, स्वामी प्रबोधानंद गिरी सहित तमाम संतों ने ब्रह्मलीन श्रीमहंत सोहनगिरी महाराज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए और उन्हें महान संत बताया।
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