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ज्ञान एवं भक्ति का अद्भुत संगम थी ब्रह्मलीन माता छोटो कौर-श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह

विधि विधान पूर्वक गंगा में प्रवाहित की गयी संत माता छोटो कौर की अस्थियां

हरिद्वार, 5 अप्रैल। ब्रह्मलीन संत माता छोटो कौर महाराज निर्मल कुटिया संत अमर सिंह ग्राम माणासिंह वाला की अस्थियां कनखल स्थित सती घाट पर विधि-विधान पूर्वक गंगा में प्रवाहित की गई। अस्थि प्रवाह के पश्चात श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ कर संतों ने माता छोटो कौर को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मशांति के लिए प्रार्थना की। अखाड़े में श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन संत माता छोटों कौर महाराज एक महान पुण्य आत्मा थी। जिन्होंने जीवन पर्यंत सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार में योगदान दिया। साथ ही सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज को समरसता का संदेश दिया। माता छोटो कौर ज्ञान व भक्ति का अद्भुत संगम थी। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और ब्रह्मलीन माता छोटो कौर तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थी। उन्होंने पंजाब की धरती से संपूर्ण भारत वर्ष में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की पताका को फहराया और सादा जीवन व्यतीत करते हुए अपने उच्च विचारों से भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनने की प्रेरणा दी। ऐसे महापुरुषों को संत समाज सदैव नमन करता है। महंत हरप्रीत सिंह महाराज निर्मल डेरा गोलेवाल ने कहा कि परमार्थ के लिए जीवन व्यतीत करने वाली माता छोटो कौर ने अखाड़े की परंपराओं का निर्वहन करते हुए धर्म के संरक्षण संवर्द्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर युवा संतों को धर्म के प्रचार प्रसार में आगे आकर अपना योगदान देना चाहिए। इस अवसर पर महंत गुरदीदार सिंह भूरी वाले, डा.स्वामी केशवानंद, ज्ञानी महंत खेमसिंह, महंत अमनदीप सिंह, महंत निर्भय सिंह, संत जसकरण सिंह, संत हरजोध सिंह, संत सिमरन सिंह, संत सुखमण सिंह, संत तलविंदर सिंह स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत दामोदार दास, महंत रघुवीर दास, महंत विष्णुदास, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, समाजसेवी देवेंद्र सिंह सोढ़ी आदि मौजूद रहे।

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