विक्की सैनी
हरिद्वार, 7 अगस्त। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने पंजाब के जालन्धर से हरिद्वार लायी गयी श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के ब्रह्मलीन महंत पालसिंह की अस्थियां पूर्ण विधि विधान के साथ सती घाट पर गंगा में विसर्जित की गयी। विसर्जन से पूर्व संत समाज की ओर से ब्रह्मलीन महंत पालसिंह के अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। अस्थि विसर्जन के बाद अखाड़े में गुरूवाणी का पाठ व शबद कीर्तन कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गयी। ब्रह्मलीन महंत पालसिंह को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत पालसिंह त्याग ओर तपस्या की प्रतिमूर्ति तथा एक महान संत थे। उनके अचानक चले जाने से संत समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है। मानव कल्याण में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते राष्ट्र कल्याण में अपना योगदान करना चाहिए। ब्रह्मलीन महंत पालसिंह ने भक्तों को सदैव धर्म के मार्ग पर चलने व सत्य का अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि सदैव परोपकार को समर्पित रहने वाले संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। संत ही भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ब्रह्मलीन महंत पालसिंह ने सदैव गरीब, असहायों की सेवा में योगदान दिया। युवा संतों को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। महंत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत पालसिंह संत समाज के प्रेरणास्रोत थे। उनके निधन से संत समाज को जो क्षति हुई है। उसकी पूर्ति संभव नहीं है। उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर सेवा कार्यो में योगदान करने का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। महंत सुरजीत सिंह महाराज ने कहा कि गुरू ही परमात्मा दूसरा स्वरूप हैं। विलक्षण संत ब्रह्मलीन गुरूदेव पालसिंह ने हमेशा उन्हें सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनके पदचिन्हों व शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि संत की वाणी भक्त को कल्याण का मार्ग दिखाती है। सभी को धर्म का अनुसरण करते हुए समाज कल्याण में योगदान करना चाहिए। इस अवसर पर महंत भगवंत भजन सिंह, महंत गुरमीत सिंह, महंत दर्शन सिंह, महंत हरभजन सिंह, संत आशाराम, संत हरचरण सिंह शास्त्री, महंत जीत सिंह, महंत गुरमाल सिंह, महंत सतनाम सिंह, संत सुखमन सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत जसकरण सिंह, महंत दलजीत सिंह, साध्वी महंत दर्शना ज्योति, स्वामी हरिहरानन्द, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत दिनेश दास, महंत मोहन ंिसह, महंत तीरथ सिंह, महंत दामोदर दास, स्वामी केश्वानन्द, महंत रंजय सिंह आदि मौजूद रहे