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राष्ट्र की एकता अखंडता कायम रखने में महापुरूषो की अहम भूमिका- श्रीमंहत सुरेन्द्रनाथ अवधूत

हरिद्वार 04.मई। जय मां आश्रम में आज से 40 दिन का धार्मिक अनुष्ठान शरण ज्योति मां ने शुरू कर दिया है। विश्व में शन्ति बनी रही रहे इसके लिए शरण ज्योति मां ने 40 दिन तक अन्न त्यागने का निर्णय लिया है। जय मां आश्रम में समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुये दिल्ली कालका मन्दिर के श्रीमंहत सुरेन्द्रनाथ अवधूत महाराज ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखंडता कायम रखने में संत महापुरूषो की अहम भूमिका रही है। क्योंकि देश में संत परम्परा ही भारत को महान बनाती है। उन्होने कहा कि संतो का जीवन पुरषार्थ को समर्पित रहता है। अपने भक्तों को ज्ञान की प्ररेणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले संत महापुरूष समाज को धर्म एवं भारतीय संस्कृति का बोध कराते है। श्रीमंहत सुरेन्द्रनाथ अवधूत ने कहा कि चक्रवर्ती महामण्डलेश्वर श्री उषा माता जी महाराज एवं उनके प्रिय शिष स्वामी महादेव महाराज ने अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में सर्मपित किया है। राष्ट्र निर्वाण में उनका अमूल्य योगदान कभी भूला नहीं जा सकता। शरण ज्योति मां, जीवन ज्योति मां, पूजा ज्योति मां ने श्रद्वालु भक्तो को सम्बोधित करते हुये कहा कि अपने गुरूजनो के बताये मार्ग पर चलकर संत महापुरूषो और समाज की सेवा करना ही हमारे जीवन का मुख्य उदेश्य है। क्यांेकि गुरू परत्मा का दूसरा स्वरूप कहलाते है। उन्होने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की गौरवशाली परम्परायें विश्व में विख्यात है। क्योंकि गुरू शिष परम्परा ही पूरे विश्व में भारत को एक अलग स्थान देती है। शरण ज्योति मां ने बताया कि जय मां मिशन भारत में अपने सभी आश्रमों में 40 दिन का धार्मिक अनुष्ठान रखकर पूरे विश्व में शान्ति व्याप्त रहे और कोरोना महामारी का बिनाश हो इसके लिए मां भगवती से प्रार्थना की जायेगी।

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