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भगवान शिव में ही समाहित है संपूर्ण ब्रह्माण्ड-स्वामी कैलाशानंद गिरी

हरिद्वार, 18 जून। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्लेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज द्वारा श्रावण मास में विश्व कल्याण के लिए भगवान शिव के निमित्त विशेष अनुष्ठान लगातार जारी है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज द्वार प्रतिदिन विभिन्न प्रकारों फूलों से शिवलिंग का श्रंग्रार व दुग्धाभिषेक कर महादेव की आराधना की जा रही है। नीलधारा तट स्थित सिद्धस्थल श्री दक्षिण काली मंदिर में आयोजित अनुष्ठान के पांचवे दिन उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि अति कल्याणकारी भगवान शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर सभी दुखों को हरने वाले भगवान शिव के अंदर ही संपूर्ण ब्रहमाण्ड समाया हुआ है। जब कुछ नहीं था, तब भी शिव थे। जब कुछ नहीं होगा तब भी शिव ही होंगे। सच्चे मन से की गयी सूक्ष्म आराधना या दर्शन मात्र से भगवान शिव भक्तों को सकारात्मक फल प्रदान करते हैं। कल्याणकारी आदिदेव भगवान शिव के स्मरण मात्र से ही सब दुख दूर हो जाते हैं। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि शास्त्रों में भगवान शिव की आराधना के लिए श्रावस मास को श्रेष्ठ बताया गया है। श्रावण मास में पूर्ण विधि विधान से शिवोपसना व रूद्राभिषेक करने से शिव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव के साथ माता का पार्वती का भी ध्यान अवश्य करना चाहिए। शिव शक्ति की सम्मिलित कृपा से साधक को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। जीवन भवसागर से पार हो जाता है। इस दौरान संघ प्रचारक पदम सिंह, विकास उनियाल, अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी रघुवीरानन्द, स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी, महंत लालबाबा, बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, स्वामी अनुरागी महाराज सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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