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संत महापुरुषों का तपोबल ही भारत को महान बनाता है- श्रीमहंत रवींद्रपुरी

संत महापुरुषों का तपोबल ही भारत को महान बनाता है- श्रीमहंत रवींद्रपुरी

हरिद्वार, 5 मई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रवींद्रपुरी महाराज एवं कालिका पीठाधीश्वर श्रीमहंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बैरागी कैंप स्थित अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा पहुंच कर अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज से भेंट वार्ता की और जगदगुरू रामानन्दाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज के तत्वाधान् में विश्व कल्याण के लिए आयोजित कोटी होमात्मक श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में हिस्सा लिया। इस दौरान कार्यक्रम में शामिल श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रवींद्रपुरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म एकमात्र धर्म है जो ईश्वर, आत्मा और मोक्ष को तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग बताता है। एकनिष्ठता, ध्यान, मोेन और तप सहित यम, नियम के अभ्यास और जागरण का मोक्ष मार्ग है अन्य कोई मोक्ष का मार्ग नहीं है। मुख से आत्मज्ञान और ईश्वर का ज्ञान होता है और यही सनातन धर्म का सत्य है। उन्होंने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों से देश में नई ऊर्जा का संचार होता है। और संत महापुरुषों का तपोबल ही भारत को महान बनाता है। उन्होंने कहा कि जहां एक और संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी से त्रस्त है वही भारत के संत महापुरुष धार्मिक क्रियाकलापों के माध्यम से पूरे विश्व को धर्म का एक सकारात्मक संदेश प्रदान कर रहे हैं। अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि भारतीय सनातन धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो विचारों से नहीं अपितु विवेक से विकसित हुआ है। इसलिए यह सर्वश्रेष्ठ है। रामायण, महाभारत, एवं श्रीमद् भागवत जैसे पवित्र ग्रंथों से हमें प्रेरणा लेकर महापुरुषों के दिखाएं सनमार्ग पर चलना चाहिए और सर्वप्रथम मानव सेवा को प्राथमिकता देते हुए धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यज्ञ से निकलने वाला धुआं जहां-जहां आवरण बनाता है। वहां का संपूर्ण वातावरण शुद्ध होता ही है साथ में सात्विक विचारों का निर्माण होता है। हमारे धार्मिक ग्रंथ सत्य और अध्यात्म का मार्ग दिखा कर मोक्ष का माध्यम बनते हैं। ईश्वर और अध्यात्म के बीच जो गहरा संबंध है। उसी का बोध करा कर संत महापुरुष अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। सभी को महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। कालिका पीठाधीश्वर श्रीमहंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा कि संत महापुरुषों का जीवन सदैव ही परमार्थ को समर्पित रहता है। देश दुनिया में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की पताका फहराने में संत महापुरुषों का अहम योगदान है। और धर्म के संरक्षण संवर्धन तथा भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए संत समाज निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सत्य सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है जो समस्त विश्व का मार्गदर्शन करता चला आ रहा है। राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाले संत महापुरुष भारत सहित विश्व भर में सनातन धर्म में भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर भारत का मान पूरे विश्व भर में बढ़ा रहे हैं। सनातन धर्म हमें प्रत्येक वस्तु, व्यक्ति में परमात्मा का दर्शन करने की शिक्षा देता है। इसलिए सभी को अपने धर्म और संस्कृति का बोध होना अति आवश्यक है। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्रदास, कोठारी महंत जसविंदर सिंह, महंत गोविंद दास, महंत अगस्त दास, महंत सिंटू दास, महंत अमित दास, महंत राजेंद्रदास, स्वामी महेशानंद, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण ,महंत सत्यम गिरि, महंत सूर्य मोहन गिरि महंत सुरेश दास, सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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