Dharm

महंत डोंगर गिरी महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने से संत समाज में शोक की लहर।

विक्की सैनी


ब्रह्मलीन महंत डोगर गिरी महाराज दिव्य संत थे- श्रीमहंत नरेन्द्र गिरी

महंत डोंगर गिरी महाराज एक महान संत थे- श्रीमंहत रविन्द्रपुरी
हरिद्वार, 19 दिसंबर। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के महंत डोंगर गिरी महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने से संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई। महंत डोगर गिरी महाराज काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में महंत डोंगर गिरी महाराज को संत समाज ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए जिसके बाद उन्हें चंडी घाट स्थित समाधि स्थल पर संत समाज के सानिध्य में भू समाधि दी गई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरी महाराज ने अपनी ओर से भावभीनी श्रद्धाजंलि देते हुए कहा कि ब्रह्मलीन महंत डोगर गिरी को त्याग की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उन्होनंे कहा कि डोगर गिरी महाराज ने अपने जीवन में संत महापुरूषों की अधिक से अधिक सेवा की है और गंगा को प्रदूषण से मुक्त रखना गऊ माता की सेवा करना उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था। ब्रह्मलीन महंत डोगर गिरी महाराज के जाने से निरंजनी अखाड़े को बहुत बड़ी क्षति हुई है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने ब्रह्मलीन महंत डोगर गिरी को दिव्य आत्मा बताते हुए कहा कि उन्हें संत महापुरूषों से बड़ा लगाव था। और वह सदा भगवान की भक्ति में लीन रहते थे। ऐसे तपस्वी संत का अचानक चले जाना संत समाज के लिए भारी क्षति है। मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्री मंहत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि महंत डोंगर गिरी महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित किया राष्ट्र कल्याण में उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके द्वारा गंगा तट से प्रारंभ किए गए सेवा प्रकल्प मानव सेवा के लिए सदैव समर्पित रहेंगे। श्रीमहंत राम रतन गिरी महाराज ने कहा कि महंत डोंगर गिरी महाराज त्याग व तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने सदैव भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर मानव सेवा के लिए प्रेरित किया गौ सेवा व गंगा संरक्षण उनके जीवन का मूल उद्देश्य था। जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्रीमहंत लखन गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत डोंगर गिरी महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। जिनके जीवन से प्रेरणा लेकर युवा संतो को राज कल्याण में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और ब्रह्मलीन महंत डोंगर गिरि महाराज तो विद्वान महापुरुष थे। जिन्होंने अपने तप व विद्वत्ता के माध्यम से भारत ही नहीं अपितु विदेशों में भी सनातन धर्म की पताका को फहराया ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। दक्षिण काली पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी व आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज ने ब्रह्मलीन महंत डोगर गिरी महाराज को अपनी ओर से श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जीवन निर्मल जल के समान था ।और वह मां गंगा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित रखते थे। उनके अचानक चले जाने से संत समाज को भारी क्षति हुई है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। इस दौरान स्वामी रघुवन, स्वामी मधुरवन, दिगंबर बलवीर पुरी, दिगंबर आशुतोष पुरी, स्वामी निरजानंद सरस्वती, स्वामी रविवन, मुखिया महंत भगतराम, श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह, श्रीमहंत महेश्वरदास, स्वामी कपिल मुनि, महंत रूपेन्द्र प्रकाश, महंत जसविन्द्र सिंह, महंत अमनदीप सिंह, महंत निर्मलदास, श्रीमहंत रविन्द्र पुरी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, महंत प्रेमदास, महंत विष्णुदास, स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती, महंत चिद्विलासानंद, महंत मनीष भारती, दिगम्बर राजपुरी, महंत नरेश गिरी, महंत राधे गिरी, स्वामी रविवन, स्वामी पूर्णानंद गिरी, श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती, महंत साधनानंद, आदि संत मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *