विक्की सैनी
हरिद्वार, 31 जुलाई। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। जिससे प्रेरणा पाकर व्यक्ति अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। श्री साधु गरीबदासीय धर्मशाला सेवाश्रम में गुरूजन स्मृति पर्व पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी डा.श्यामसुन्दरदास शास्त्री महाराज समस्त समाज के प्रेरणास्रोत थे। जिन्होंन अपने सरल एवं सादगी पूर्ण जीवन के माध्यम से अनेकों लोगों का मार्गदर्शन कर उन्हें सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। समाज कल्याण में उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। म.म.स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती व म.म.स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि गुरू के बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव है। व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो उसे गुरू की आवश्यकता पड़ती ही है। ब्रह्मलीन म.म.स्वामी श्यामसुंदरदास शास्त्री महाराज के जाने के एक वर्ष बाद भी ऐसा लगता है कि वे समाज में विद्यमान रहकर संतों को लगातार सेवा कार्यो के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके द्वारा चलाए गए सेवा प्रकल्पों के माध्यम से आज भी गरीब असहाय लोग लाभाविन्त हो रहे हैं। ऐसे महापुरूषों को संत समाज नमन करता है। स्वामी रविदेव शास्त्री शास्त्री व स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि गुरू ही शिष्य को ज्ञान की प्रेरणा दकर उसे उन्नति की ओर अग्रसर करते हैं। पूज्य गुरूदव ब्रह्मलीन डा.स्वामी श्यामसुंदरदास शास्त्री महाराज एक महान परम तपस्वी संत थे। उनके विद्वत जीवन से प्रेरणा लकर युवा संतों को राष्ट्र उत्थान में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए और भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए तत्पर रहना चाहिए। यही एक सुयोग्य शिष्य के आदर्श जीवन का लक्ष्य होता है। इस अवसर पर स्वामी वेदानन्द, संत जगजीत सिंह, डा.पदम प्रकाश सुवेदी, महंत जसविन्दर सिंह, महंत श्यामप्रकाश, स्वामी गंगादास उदासीन, महंत दिनेश दास, महंत सुमित दास, स्वामी दिव्यानन्द, महंत अरूण दास, महंत सूरज दास आदि उपस्थित रहे।