हरिद्वार, 28 जून। बाघम्भरी पीठाधीश्वर श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा है कि महापुरुषों का अवतरण धर्म के संरक्षण संवर्धन एवं समाज के मार्गदर्शन के लिए होता है और महापुरुषों ने हमेशा ही राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज की आत्मशांति हेतु चारों धामों में यज्ञ अनुष्ठान करने के पश्चात बिल्केश्वर महादेव मंदिर में आयोजित गुरुजन स्मृति पर्व के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन पूज्य गुरुदेव श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। जिन्होंने भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए देश के सभी संतो को एक मंच पर लाने का कार्य किया और राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारतीय इतिहास में उनका व्यक्तित्व सदैव अमर रहेगा। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि धर्म के मार्ग पर अग्रसर रहकर ही देश को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज एक महान विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे। जिन्होंने सभी 13 अखाड़ों में सामंजस्य स्थापित कर नासिक, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार कुंभ को सकुशल संपन्न कराया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। दिगंबर गंगागिरी महाराज ने कहा कि भारत की भूमि अनादि काल से संत महापुरुषों की तपस्थली रही है और ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या के प्रतिमूर्ति थे। उनका मधुर व्यवहार और कार्य कुशल शैली सभी को अपनी और आकर्षित करती थी। संत समाज के बीच उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता। इस अवसर पर दिगंबर आशुतोष पुरी, दिगंबर राजगिरी, स्वामी मधुर वन, स्वामी रघु वन, स्वामी रवि वन, स्वामी विनोद गिरी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
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