हरिद्वार, 20 फरवरी। महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा है कि श्रीमद्भागवत ज्ञान भक्ति और शांति का एक महान ग्रंथ है। जिससे सोया हुआ ज्ञान और वैराग्य जागृत हो जाता है और व्यक्ति के सभी प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं। मन की शुद्धि के लिए इससे बढ़कर कोई और पुराण नहीं है। भारत माता पुरम स्थित एकादश रुद्र पीठ में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चैथे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का महत्व समझाते हुए राजगुरु स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा को श्रद्धापूर्वक श्रवण करने से प्रभु श्री हरि भक्तों के हृदय में आ बसते हैं। कथा को सुनने से भक्तों के अंदर भगवान श्रीकृष्ण के प्रति एक अटूट विश्वास जागृत होता है और कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है। जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहारिक रूप से धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से संशय दूर होता है। शांति और मुक्ति प्राप्त होती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण भागवत कथा श्रवण करने की आवश्यकता है। राजगुरु स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का अलौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। कलयुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। क्योंकि भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्षदायिनी है। सभी भक्तों को अपने बच्चों को संस्कारवान बनाकर कथा सुनने के लिए प्रेरित करना चाहिए। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलयुग में भागवत साक्षात श्री हरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण करने मात्र से करोड़ों पुण्य का फल प्राप्त हो जाता है और दुर्लभ मानव को ही इस कथा के श्रवण का लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है। इस अवसर पर राधेश्याम शर्मा, आरके पाण्डेय, सतीश पाराशर, आत्माराम पाठक, इन्जीनियर निरंजन सिंह, दिलीप सिंह भदौरिया, हरिमोहन शर्मा गुरु, राम लखन शर्मा, सुरेन्द्र शर्मा, आचार्य संतराम भट्ट, जगद्गुरु आनंदेश्वर महाराज, रामकुमार शर्मा, प्रदीप सिंह, रविन्द्र भट्ट, दिनेश भट्ट आदि उपस्थित रहे।
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