हरिद्वार, 19 फरवरी। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा है कि संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है और महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंत काल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहती हंै। साकेतवासी जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज ज्ञान एवं वैराग्य की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए समर्पित किया। भारत के इतिहास में उनका नाम सदैव स्वर्णिम अक्षरों में व्याप्त रहेगा। भीमगोड़ा स्थित श्री जगन्नाथ धाम में साकेतवासी जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज की तृतीय श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघु मुनि महाराज ने कहा कि साकेतवासी स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज एक विद्वान और तपस्वी महापुरुष थे। जिन्होंने वैष्णव परंपराओं का जीवन पर्यंत निर्वहन करते हुए भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाया। समाज कल्याण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। बाबा बलराम दास हठयोगी एवं स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और साकेतवासी स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज तो जीवन पर्यंत मानवता की सेवा हेतु समर्पित रहे। उन्होंने समाज से जात पात ऊंच नीच का भेदभाव मिटाकर समरसता का संदेश दिया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। महंत रघुवीर दास एवं महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा अनादि काल से भारत को महान बनाती है। साकेतवासी जगद्गुरु स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। जिनके आदर्शो को अपनाकर उनके कृपा पात्र शिष्य महंत अरुण दास एवं महंत लोकेश दास धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना योगदान प्रदान कर रहे हैं। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए महंत अरुणदास एवं महंत लोकेश दास महाराज ने कहा कि पूज्य गुरुदेव साकेतवासी जगतगुरु स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज के अधूरे कार्यों को पूर्ण करना ही उनके जीवन का मूल उद्देश्य है। संत एवं समाज सेवा करते हुए वह अपना संपूर्ण जीवन सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित करेंगे गंगा तट से उनके गुरु द्वारा जो सेवा प्रकल्प प्रारंभ किए गए थे। उनमें निरंतर बढ़ोतरी की जाएगी। इस अवसर पर पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, महंत प्रह्लाद दास, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत सूरज दास, स्वामी ऋषि रामकिशन, महंत जसविंदर सिंह, महंत निर्मल दास, स्वामी जगदीशानंद गिरी, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी रवि देव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत सुतीक्षण मुनि, राजमाता आशा भारती, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत जमुना दास, स्वामी गंगादास उदासीन, महंत श्याम प्रकाश, महंत रामकृष्ण दास, महंत कमल दास सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।
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