हरिद्वार, 1 अप्रैल। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा है कि सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के आधार पर कुंभ मेला आज से प्रारम्भ हो गया है। लेकिन संतों का मेला महाशिवरात्रि से ही प्रारम्भ हो गया था। यह सरकार की मजबूरी थी कि उन्होंने नोटिफिकेशन देर से जारी किया। मेले की व्यवस्था और स्वरूप जो होना चाहिए था। वह कोरोना महामारी के कारण नहीं हुआ है। लेकिन सरकार की भी जिम्मेदारी बनती थी कि उन्हें मेले का स्वरूप बनाना चाहिए था और अखाड़ा परिषद भी प्रारम्भ से यही मांग करती आई है। मेला प्रशासन द्वारा महामण्डलेश्वर नगर नहीं बसाए जाने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के निर्णय से संतों को पीड़ा होती है और विवाद उत्पन्न होता है। जोकि नहीं होना चाहिए। 12 वर्ष की अवधि के बाद कुंभ मेला लगता है। जमीन आवंटन के साथ सभी मूलभूत सुविधाएं 10 अखाड़ों को तत्काल प्रदान की जाएं। क्योंकि 12 वर्ष बाद जब कुंभ मेला दोबारा आयोजित होगा तब रिकार्ड न होने पर संतों को जमीन आवंटन कैसे होगा। उन्होंने मेला अधिकारी से मांग की है कि उच्च अधिकारियों से वार्ता कर तत्काल 10 अखाड़ों को जमीन आवंटित की जाए। वैष्णव संप्रदाय के संतों के जमीन आवंटित हुई है। इसकी उन्हें खुशी है। लेकिन मूलभूत सुविधाएं भी प्रदान की जाएं। बाकी बचे 10 अखाड़ों को गौरीशंकर दीप और महामण्डलेश्वर नगर में जमीन बांट कर जितना संभव हो उतनी सुविधा प्रदान करें। ताकि कुंभ मेले का स्वरूप बन जाए। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी हैं जो प्रारम्भ से ही मेले का स्वरूप नहीं बनाना चाहते हैं। इसलिए मुख्यमंत्री उन्हें समझाएं और उनकी बातों में न आकर कुंभ मेला मूल स्वरूप में सपन्न कराने के निर्देश दें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मेले के लिए चार सौ पांच करोड़ रूपए दिए गए हैं। इसलिए बजट की कोई कमी नहीं है। क्योंकि अखाड़ा परिषद ने भी मांग की थी कि कुंभ के लिए अतिरिक्त बजट दिया जाए। जो बजट आया है। उसे आवश्यकता के अनुसार कुंभ कार्यो पर ही खर्च किया जाए। यह सरकार की अखाड़ा परिषद से मांग है। उन्होंने कहा कि जमीन आवंटन के दस्तावेज प्रत्येक अखाड़े प्रदान किए जाएं, क्योंकि यह बहुत आवश्यक है। मेला अधिकारी का भी यह दायित्व है। यदि वह चाहें तो मात्र दो दिन में जमीन आवंटन कर सकते हैं। इसलिए इस कार्य में विलंब ना किया जाए।
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