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उत्तराखंड सरकार को संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए नए नियम बनाने चाहिए- स्वामी ऋषिश्वरानंद

संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के योगी सरकार के प्रयास सराहनीय – महंत शिवानंद

हरिद्वार, 22 अप्रैल। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा संस्कृत छात्रों को छात्रवृत्ति दिए जाने की घोषणा करने पर श्री चेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने योगी आदित्यनाथ का आभार जताते हुए इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बताया है। प्रेस को जारी बयान में स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि विश्व की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत देववाणी है। जिस के उत्थान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लगातार कार्य कर रही है। जोकि भारतीय संस्कृति और संस्कृत के संरक्षण संवर्धन के लिए बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को इससे सीख लेते हुए उत्तराखंड में भी संस्कृत छात्रों को उचित छात्रवृत्ति प्रदान करनी चाहिए। साथ ही संस्कृत विद्यालयों का कायाकल्प कर वहां पर संस्कृत अध्यापकों की भी व्यवस्था की जाए। जिससे कि हमारे संस्कार और संस्कृति जीवंत रह सके और युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति का भली-भांति बोध हो सके। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा साधु संतों के हितों को ध्यान में रखते हुए पुरोहित कल्याण बोर्ड का भी जल्द गठन होने जा रहा है। उत्तराखंड सरकार को भी इसी तर्ज पर साधु संतों को मानदेय देना चाहिए। जिससे फक्कड़ और गरीब साधुओं को किसी पर आश्रित ना होना पड़े। युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत शिवानंद महाराज ने कहा कि आज शिक्षा का आधुनिकरण होने के कारण संस्कृत भाषा विलुप्त होने की कगार पर है। देश के मात्र कुछ राज्यों में ही संस्कृत भाषा के पठन एवं पाठन पर जोर दिया जा रहा है। जबकि अधिकांश राज्यों में संस्कृत भाषा को लेकर सरकारें सजग नहीं है। उपराष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री अलग-अलग भाषाओं के विकास और सीखने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति में भी बच्चों को एक से अधिक भाषा सीखने का प्रावधान किया गया है। इन सबके बीच सभी भाषाओं का उद्गम और सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा जो कदम उठाया गया है। वह सभी सरकारों के लिए प्रेरणा है और जिस की तर्ज पर उत्तर प्रदेश के बाद सर्वप्रथम उत्तराखंड सरकार को भी संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए नए नियम बनाने चाहिए। ताकि देवभूमि उत्तराखंड का पूरे विश्व में एक अलग स्थान स्थापित हो।

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