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समान नागरिकता कानून लागू होने पर युवा भारत साधु समाज ने जताया मुख्यमंत्री का आभार


केंद्र सरकार द्वारा संपूर्ण देश में लागू किया जाए समान नागरिकता कानून- महंत शिवम् 


युवा भारत साधु समाज की कार्यकारिणी का किया गया विस्तार


हरिद्वार। उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिकता कानून लागू करने पर युवा संतों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त करते हुए  राज्य हित में ऐतिहासिक निर्णय बताया है।
भूपतवाला स्थित श्री चेतन ज्योति आश्रम में युवा भारत साधु समाज की बैठक में डाॅ. स्वामी आनंदमयी  महाराज को गुजरात का प्रदेश अध्यक्ष तथा महंत अनंतानंद महाराज को पंजाब प्रदेश का अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश का अध्यक्ष महंत  रामानंद महाराज को नियुक्त किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत शिवम् महाराज ने कहा कि युवा भारत साधु समाज के विस्तार से धर्म के संरक्षण संवर्धन, सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में युवा संत अपना योगदान प्रदान करेंगे। 
समान नागरिकता कानून से सभी लोगों को समान अधिकार प्राप्त होंगे।राज्य एवं देश के विकास के लिए केंद्र सरकार को संपूर्ण देश में समान नागरिकता कानून को लागू करना चाहिए। संत समाज सरकार द्वारा कानून लागू करने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को साधुवाद प्रदान करता है। उपाध्यक्ष संत जगजीत सिंह एवं महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि समान नागरिकता कानून लागू होने से सबका साथ, सबका विकास का नारा  सरकार द्वारा पूरा किया गया है। कानून लागू होने से महिलाओं के अधिकारों को मजबूती मिलेगी साथ ही राज्य के समग्र विकास में भी यह कानून उपयोगी साबित होगा। योगी आशुतोष महाराज एवं डॉ.आनंदमयी महाराज ने कहा कि समान नागरिकता बिल उत्तराखंड वासियों के बेहतर भविष्य निर्माण का नया अध्याय है। उत्तराखंड यह बिल लागू करने वाला पहला प्रदेश है। उत्तराखंड वासियों के लिए गौरव का विषय है। संत समाज केंद्र सरकार से मांग करता है कि देश के बेहतर निर्माण के लिए जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रण कानून भी लागू होना चाहिए
इस दौरान संतों ने मध्य प्रदेश में  पटाका फैक्ट्री में मृतक लोगों की आत्मा शांति के लिए प्रार्थना की।
इस अवसर पर महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत सुतिक्षण मुनी, महंत दिनेश दास, मंहत निर्मल दास महंत रामानन्द, आचार्य पुष्पेंद्र पुरी, महंत उमेशानंद, महंत सूरज दास, महंत प्रेमदास, महंत आत्मदेव योगी, स्वामी अनंतानंद, स्वामी नित्यानंद, स्वामी कृष्ण देव, महंत कृष्णानंद गिरी, महंत लोकेश दास, महंत योगेंद्रानंद शास्त्री उपस्थित रहे।

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