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अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के नेतृत्व में निर्मल अखाड़े के संतों ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

अखाड़े की संपत्ति को खुर्दबुर्द करने के प्रयासों में जुटे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

धार्मिक संपत्तियों को अवैध कब्जों से बचाने के लिए कानून बनाए सरकार-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

मुख्यमंत्री ने संत समाज को दिया धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा का आश्वासन

हरिद्वार, 8 जुलाई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज के नेतृत्व में श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज, कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत दामोदर दास, महंत सत्यानन्द गिरी, स्वामी सत्याव्रतानन्द, महंत सूर्यमोहन गिरी आदि संतो ने कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना करने आए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंपकर श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की संपत्ति को खुर्दबुुर्द करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि धार्मिक संपत्तियों को अवैध कब्जों से बचाने के लिए सरकार कड़ा कानून बनाए। मुख्यमंत्री ने संत समाज को आश्वासन देते हुए कहा कि मठ, मंदिरों, आश्रम, अखाड़ों की धार्मिक संपत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। धार्मिक संपत्तियों के संरक्षण, संवर्द्धन के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज एवं कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बताया कि निर्मल संप्रदाय की सर्वोच्च संस्था श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की पूरे भारत में शाखाएं हैं। श्रीमहंत ज्ञानदेव ंिसंह महाराज वर्ष 1993 से लेकर वर्तमान तक निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष हैं। श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के नेतृत्व में ही उज्जैन, नासिक, इलाहाबाद और हरिद्वार कुंभ मेला संपन्न हुए हैं। किंतु बाबा कश्मीर सिंह भूरी वाले, संत जगजीत सिंह और बाबा प्रेम सिंह द्वारा षड्यंत्र के तहत अखाड़े की संपत्ति को खुर्द खुर्द करने की कोशिश की जा रही है। पिछले काफी समय से यह लोग भगवा वस्त्र धारण कर समाज को गुमराह कर रहे हैं और अखाड़े की एक्कड़ कला शाखा और सदर छावनी में कब्जे का प्रयास कर चुके हैं। लेकिन संत समाज की एकजुटता के चलते वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए थे। इनके द्वारा बार-बार लगातार अखाड़े और श्रीमहंत के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणीयों से समाज में भ्रम पैदा करने का प्रयास भी किया जा रहा है। ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ शासन प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करते हुए इन्हें हरिद्वार से बाहर करना चाहिए। ज्ञापन में कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने मांग की है कि मुख्यमंत्री पूरे मामले का गंभीरता से संज्ञान लेकर ऐसे सामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। असामाजिक तत्व किसी भी अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते ह। इनके खिलाफ कनखल एवं पथरी थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है और यह लोग समय-समय पर अखाड़े के संतों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते रहते हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल अपने सेवा प्रकल्पों के माध्यम से भारत में समाज सेवा का संदेश दे रहा है। जबकि ऐसे असामाजिक तत्वों का कार्य मात्र संपत्तियों को कब्जाना है। जो संत का वेश धारण कर समाज को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि मामले की उचित जांच करा कर ऐसे असामाजिक तत्वों और उनका साथ देने वाले भगवा धारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही वर्तमान में घटित विषम परिस्थितियों के चलते निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज को वाई श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। ताकि उनको किसी प्रकार की कोई हानि न पहुंचा सकें। ज्ञापन देने वालों में महंत गोविंददास, महंत सूरजदास, महंत बिहारी शरण दास, महंत सत्यानन्द गिरी, महंत सूर्यमोहन गिरी, स्वामी कृष्णानन्द, महंत अंकित शरण, महंत सूरजदास, स्वामी रामकृष्ण, स्वामी सत्याव्रतानन्द, स्वामी राममुनि, महंत अमनदीप सिंह, महंत निर्भय सिंह, महंत अजैब सिंह, महंत अमरजीत सिंह, महंत जरनैल सिंह, महंत दर्शन सिंह, महंत गुरुभक्त सिंह, महंत जसकरण सिंह, संत गुरजीत सिंह, संत गुरप्रीत सिंह, संत गुरबीर सिंह, संत सुखमन सिंह आदि निर्मल अखाड़े के संत शामिल रहे।

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