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बैरागी संप्रदाय के बिना अखाड़ा परिषद का कोई अस्तित्व नहीं है- बाबा हठयोगी

हरिद्वार, 8 अक्टूबर। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा बलराम दास हठयोगी महाराज ने अखाड़ा परिषद के चुनाव को लेकर संन्यासी अखाड़ों पर निशाना साधा है। चंडी घाट स्थित गौरीशंकर गौशाला में प्रैस को जारी बयान में बाबा बलराम दास हठयोगी महाराज ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का गठन चार संप्रदाय से मिलकर होता है। जिसमें बैरागी, उदासीन, निर्मल तथा सन्यासी अखाड़ों के संत प्रतिनिधि के रूप में शामिल होते हैं। यदि एक भी संप्रदाय चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेता है और अखाड़ा परिषद में शामिल नहीं होता है तब अखाड़ा परिषद का गठन हो ही नहीं सकता है। कोई भी अखाड़ा स्वयं अपना दल या संगठन बना सकता है। परंतु उसको अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद रिक्त चल रहा है। जिस पर वैष्णव अखाड़ों के संतों का अधिकार है। बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के रूप में श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास महाराज को नियुक्त किया जाता है तो तभी तीनों बैरागी अनी अखाड़े चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे और अखाड़ा परिषद का प्रतिनिधित्व करेंगे। अन्यथा वैष्णव संतो द्वारा अखाड़ा परिषद की चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री के रूप में एक बैरागी और एक सन्यासी संतों की परंपरा चली आ रही है। लेकिन कुछ समय पहले ही संन्यासी अखाड़ों द्वारा अध्यक्ष और महामंत्री पद पर जबरन कब्जा कर लिया गया था। जिसका बैरागी अखाड़ों ने खुलकर विरोध भी किया था। ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के कुशल व्यवहार और कार्यशैली की वजह से कुंभ मेले को सकुशल संपन्न कराने के लिए बैरागी संतो ने उस समय यह मुद्दा नहीं उठाया। परंतु अब अध्यक्ष के रूप में वैरागी संत ही अखाड़ा परिषद का नेतृत्व संभालेंग।े यदि ऐसा नहीं होता है तो वैष्णव संप्रदाय के संत किसी भी प्रकार से सन्यासियों से कोई वास्ता नहीं रखेंगे।

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