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आद्य गुरू शंकराचार्य के उपदेशों को घर-घर तक पहुंचाया जाएगा-स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती

सूरत गिरी बंगले में होगा दो दिवसीय संत समागम

हरिद्वार, 6 अप्रैल। कर्नाटक की सांस्कृतिक नगरी मैसूर मंडल के कृष्णराज नगर स्थित वेदांत भारती संस्था की ओर से कनखल सन्यास मार्ग स्थित सूरत गिरी बंगले में दो दिवसीय संत समागम का आयोजन किया जा रहा है। सात व आठ अप्रैल को आयोजित होने वाले संत समागम की जानकारी देते हुए संस्था के संरक्षक श्री शंकर भारती महास्वामी के प्रतिनिधि स्वामी ब्रह्मानन्द भारती ने बताया कि संत समागम में आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानन्द भारती, जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरी महाराज, निंरजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महाण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज सहित अनेक महामण्डलेश्वर तथा संत महापुरूष भाग लेंगे।
स्वामी ब्रह्मानन्द भारती महाराज ने बताया कि संत समागम का उद्देश्य एकजुट होकर आद्य गुरू शंकराचार्य के उपदेशों को देश में घर-घर तक पहुंचाना है। इसके लिए पूज्य आद्य गुरू शंकराचार्य के उपदेशों को सरल भाषा में प्रकाशित कर लोगों को वितरित किया जाएगा। इसके अलावा शंकराचार्य जयंती के आयोजन सहित कई विषयों पर संत समागम में विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि श्री श्री शंकर भारती महास्वामी के मार्ग दर्शन में संस्था द्वारा आद्य शंकराचार्य के उपदेशों को जन सामान्य तक पहुंचाते हुए राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए शांकर संदेश सप्ताह, शांकर सरस्वती, स्तोत्रपठन महाभियान, छात्रों को नीति ज्ञान प्रदान करने विवेकदीपिनी, तत्वशास्त्र के विषय पर विचार विमर्श सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर किया जा रहा है। संस्था के निदेशक श्रीधर हेगड़े ने बताया कि हरिद्वार में आयोजित किए जा रहे कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को आद्य शंकराचार्य के उपदेशों से अवगत कराने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। आद्य शंकराचार्य के उपदेशों से जन साधारण लाभ उठा सकें। इसके लिए संबंधित ग्रन्थ व साहित्य श्रद्धालुओं को वितरित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय संत समागम के दौरान सनातन धर्म के उत्थान व एकात्म भाव का विस्तार करते हुए संत महापुरूष समाज का मार्गदर्शन करेंगे। इस अवसर पर वेंकट रमण भट्ट, हनुमंत राव, स्वामी कमलेशानंद, स्वामी दिनकरानन्द सरस्वती आदि संतजन भी मौजूद रहे।

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