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अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने 10 अखाड़ों व महामण्डलेश्वरों को भूमि आवंटन पर जताया सीएम का आभार


हरिद्वार, 2 अप्रैल। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने 10 अखाड़ों और महामंडलेश्वरों को मेला प्रशासन द्वारा भूमि आवंटित किए जाने पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का आभार जताया है। प्रैस को जारी बयान में श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि मेला प्रशासन द्वारा उचित निर्णय लेकर भूमि आवंटन का जो निर्णय लिया गया है। वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि आईजी संजय गुंज्याल, मेलाधिकारी दीपक रावत, अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह और मेला एसएसपी जन्मेजय खंडूरी दिन रात मेहनत करके मेले को सफल बनाने में जुटे हुए है।ं इसके लिए वह आशीर्वाद के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के रिकॉर्ड में भूमि आवंटन की प्रक्रिया दर्ज होनी चाहिए। ताकि भविष्य में भूमि आवंटन में कोई परेशानी ना हो। उन्होंने कहा कि मेला प्रशासन द्वारा मूलभूत सुविधाएं जितनी भी उपलब्ध कराई जाएगी वह ठीक है बाकि सुविधाओं की व्यवस्था संत स्वयं कर लेंगे। श्रीमहंत नरेंद गिरी महाराज ने कहा कि मेला प्रशासन द्वारा सभी अखाड़ों को भूमि आवंटित किए जाने से कुंभ मेले का स्वरूप और दिव्य व भव्य होगा।
अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह के साथ निर्मोही अखाड़े में हुई अभद्रता पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इस मामले की जांच के लिए संतों की एक कमेटी का गठन किया गया है। निर्मोही अखाड़े पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कमेटी में आह्वान अखाड़े से श्रीमहंत सत्यगिरी, अग्नि अखाड़े से श्रीमहंत सोमेश्वरानन्द ब्रह्मचारी, आनन्द अखाड़े से महंत शंकरानंद सरस्वती, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन से महंत व्यास मुनि, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन से महंत जगतार मुनि, निर्मल अखाड़े से अखाड़ा परिषद उपाध्यक्ष महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, अटल अखाड़े से महंत बलराम भारती, दिगंबर अनी अखाड़े से श्रीमहंत रामकिशन दास, निर्वाणी अनी अखाड़े से श्रीमहंत धर्मदास महाराज रहेंगे। कमेटी की अध्यक्षता करते हुए अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष महंत देवेंद सिंह शास्त्री एक सप्ताह रिपोर्ट देंगे। रिपोर्ट के आधार पर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी। श्रीमहंत नरेंद गिरी महाराज ने सभी अखाड़ों के संत महापुरूषों से अपील करते हुए कहा कि यदि कोई समस्या है तो वह अखाड़ा परिषद के समक्ष रखें। अखाड़ा परिषद स्वयं समाधान कराएगी। उन्होंने कहा कि दिन रात कार्य कर रहे मेला प्रशासन के अधिकारियों के साथ मारपीट करना उचित नहीं है। इसकी कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। मारपीट करना संत का स्वभाव नहीं है। संत का स्वभाव मधुर होता है। उन्होंने कहा कि हरबीर सिंह जैसा अधिकारी संतों को नहीं मिल सकता है। जो कि सभी अखाड़ों के चहेते हैं। हरबीर सिंह सभी अखाड़ों की समस्या सुनकर समाधान करते हैं। इसलिए किसी भी अधिकारी के साथ मारपीट करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद के अधिकारी ही मेला प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता करें और अधिकारी भी अखाड़ों के मुख्य पदाधिकारियों से ही वार्ता करें। किसी संत को कोई समस्या है तो वह अपने अखाड़े के पदाधिकारियों से बताए। पदाधिकारी मेला प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता कर समस्या का समाधान कराएंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा ना हो, इसके लिए कमेटी के निर्णय के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

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