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सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न हो जाते हैं भगवान शिव-स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी

विक्की सैनी

हरिद्वार, 29 जुलाई। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि देवों के देव महादेव को अति प्रिय श्रावण माह का शुभारम्भ सोमवार से हुआ है और समापन भी सोमवार को ही होगा। ऐसे में यह श्रावण विशेष फलदायी हो गया है। प्रत्येक भक्त को इस विशेष आध्यात्मिक अवसर का लाभ अवश्य उठाना चाहिए। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने उक्त उद्गार पूरे श्रावण मास मंदिर प्रांगण में चलने वाले भगवान शिव को समर्पित विशेष अनुष्ठान के दौरान व्यक्त किए। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि श्रावण मास में भगवान शिव देवी पार्वती के साथ भू-लोक में निवास करते हैं। इसलिए भगवान शिव के साथ मां भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से वे बेहद प्रसन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन सावन मास में ही हुआ था। जब मंथन से विष निकला तो पूरे संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। विष से उनका कंठ नीला पड़ गया। जिससे वे नीलकंठ कहलाए। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि अपने कंठ में विष धारण कर संसार की रक्षा करने वाले भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष विधान है। श्रावण मास में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना अति फलदायी होता है। सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर भगवान शिव भक्त की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। जो भक्त सावन महीने में सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ महादेव का पूजन व जलाभिषेक करते हैं। उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। भगवान शिव की कृपा से समस्त रोग दूर हो जाते हैं। दुर्घटना और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। इस दौरान स्वामी अनुरागी महाराज, आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, अंकुश शुक्ला, सागर ओझा, पंडित शिवकुमार शर्मा, कृष्णा शर्मा, अनुराग वाजपेयी, अनुज दुबे आदि मौजूद रहे।

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