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संत समाज ने दी साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी को श्रद्धांजलि

विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

हरिद्वार, 3 फरवरी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के तत्वाधान में भूपतवाला स्थित सीताराम धाम में साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी महाराज की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई। जिसमें सभी संतो ने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रव्र्रिंद्रपुरी महाराज को शॉल और पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी महाराज एक महान एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे। जिन्होंने संपूर्ण जीवन समाज एवं संत सेवक के रूप में व्यतीत किया और गंगा तट से अनेकों सेवा प्रकल्प चलाकर समाज को सेवा का संदेश दिया। भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार और समाज कल्याण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी एवं महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि संत समाज के प्रेरणास्रोत महंत मोहनदास रामायणी महाराज ने जीवन पर्यन्त संत परंपरांओं का पालन करते हुए राष्ट्र एवं समाज कल्याण में योगदान दिया। उनकी शिक्षाओं का पालन करते हुए राष्ट्र व समाज कल्याण में योगदान का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद एवं बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी महाराज रामायण के प्रखर वक्ता थे। जिन्होंने समाज में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों को स्थापित किया और जात पात ऊंच नीच का भेदभाव मिटाकर सभी को समान दृष्टि से एकत्रित किया। स्वयं अपने हाथों से भोजन बनाकर संतों की सेवा करना उनका परम गुण था। उनके द्वारा प्रसारित की गई शिक्षाएं अनंत काल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती एवं महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी महाराज ने जीवन पर्यंत सनातन धर्म के प्रचार प्रसार एवं धर्म रक्षा और राष्ट्र रक्षा के लिए युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाया। राष्ट्र निर्माण में ऐसे महापुरुषों की अहम भूमिका ही संत समाज को गौरवान्वित करती हैं। युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री एवं स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी महाराज त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। सीताराम धाम के अध्यक्ष एवं साकेतवासी महंत मोहनदास रामायणी महाराज के कृपा पात्र शिष्य महंत सूरज दास महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरुदेव के जीवन का अनुसरण करते हुए संत समाज की सेवा करना उनका मूल उद्देश्य है और उनके गुरु द्वारा जो सेवा प्रकल्प प्रारंभ किए गए थे। उनमें निरंतर बढ़ोतरी करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस दौरान महामण्डलेश्वर स्वामी प्रेमानंद, महंत बिहारी शरण, महंत नारायण दास पटवारी, महंत अरुण दास, महंत गोविंद दास, महंत लोकेश दास, स्वामी दिनेश दास, महंत शिवानंद, महंत रामकृष्ण दास, महंत गंगादास उदासीन, महंत जगदीशानंद, स्वामी चिद़विलासानंद, महंत श्यामप्रकाश, महंत प्रह्लाद दास, महंत प्रमोद दास, समाजसेवी अरविन्द कुमार एवं हिमांशु सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।

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