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आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार कराती है श्रीमद्भागवत कथा-महामंडलेश्वर अर्जुन पुरी

हरिद्वार, 25 मई। भूपतवाला स्थित श्री तुलसी मानस मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। इस दौरान श्रद्धालु भक्तों द्वारा भव्य कलश शोभा यात्रा का आयोजन किया गया एवं श्री तुलसी मानस मंदिर के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुनपुरी द्वारा दीप प्रज्वलित कर कथा का शुभारंभ किया गया। कथा प्रारंभ से पूर्व जम्मू कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर ट्रस्ट के मुख्य पुजारी अमीरचंद को संत समाज में भावभीनी श्रद्धांजलि प्रदान कीl श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुन पुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। जो श्रद्धालु भक्त कथा का रसपान कर लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है और उसकी आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार होता है। इसलिए सभी को हरिद्वार देव भूमि पर कथा का रसपान अवश्य करना चाहिए। कथा व्यास आचार्य देवेंद्र शास्त्री मंदसौर मध्य प्रदेश वालों ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। सोया हुआ ज्ञान और वैराग्य कथा श्रवण से जागृत हो जाता है और व्यक्ति का जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में व्यक्ति मोह माया के जाल में फंस कर वास्तविक जिंदगी से परे होता जा रहा है। व्यक्ति को यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है तो प्रभु श्री हरि की भक्ति करनी ही होगी। तभी उसका कल्याण निश्चित है। वास्तव में श्रीमद् भागवत कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। देवताओं को भी दुर्लभ श्रीमद् भागवत कथा सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होती है। कार्यक्रम के मुख्य यजमान रामेश्वर सोडाणी, सुरेश सोडाणी, सत्यनारायण सोडाणी, महेशचंद सोडाणी, नरेश निगम ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का फूल माला पहनाकर स्वागत किया और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया और कहा कि वह बहुत ही भाग्यशाली है कि उन्हें देव भूमि उत्तराखंड की पावन धरा हरिद्वार में गंगा के पावन तट पर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। इस दौरान स्वामी कामेश्वर पुरी, महंत कृष्णदेव, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत सूरज दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत निर्मल दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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