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चिंतन से चिंता की निवृत्ति का माध्यम है श्रीमद् भागवत – आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास

हरिद्वार। श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा चिंतन से चिंता की निवृत्ति का माध्यम है जिसके श्रवण मात्र से व्यक्ति का जीवन भवसागर से पर लग जाता है। जो व्यक्ति श्रीमद् भागवत कथा में निहित ज्ञान को अपने जीवन व्यवहार में धारण कर लेता है उसका जीवन स्वयं ही सफल हो जाता है। भूपतवाला स्थित साधु बेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत भवसागर की वैतरणी है जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके बैकुंठ का मार्ग प्रशस्त करती है। सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है और कलयुग के प्रधान तीर्थ हरिद्वार में श्रीमद् भागवत कथा का महत्व सहस्र गुना पुण्य फलदाई है। इसलिए सभी को कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। कथा व्यास योगाचार्य राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा भक्त और भगवान की संयुक्त कथा है जो व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाती है। वास्तव में श्रीमद् भागवत देवताओं को भी दुर्लभ है। भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र वाणी से व्यक्ति का अंतकरण तो शुद्ध होता ही है साथ ही उसमें उत्तम चरित्र का भी निर्माण होता है। कलयुग में मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। इसलिए हम सभी को कथा का श्रवण करते हुए समाज और अपने बच्चों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। इस अवसर पर स्वामी बलराम मुनी, गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, सुनील कुमार सहित कई श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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