राकेश वालिया
पद पर दूसरे संत को बैठाए जाने के खिलाफ कोर्ट के साथ संतों की अदालत में भी जाएंगे-स्वामी प्रज्ञानानंद
हरिद्वार, 10 जनवरी। स्वामी प्रज्ञानानंद गिरि महाराज ने कहा कि वे निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर हैं। उनके रहते किसी अन्य को अखाडे़ की आचार्य पीठ पर बैठाए जाने के खिलाफ वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सप्तऋषि आश्रम में पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी प्रज्ञानानंद गिरी महाराज ने कहा कि मार्च 2019 में काशी में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज, सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों व सनातन धर्म के विद्वानों की उपस्थिति में उनका निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर के पद पर अभिषेक किया गया था। तभी से वे श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के आचार्य महाण्डलेश्वर है। उन्होंने पद से त्यागपत्र भी नहीं दिया है। वर्तमान में भी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर वे ही हैं। उनके पद पर रहते किसी अन्य को आचार्य महामण्डलेश्वर नहीं बनाया जा सकता है। आचार्य महामण्डलेश्वर बनने के बाद से ही वे लगातार धर्म प्रचार करते रहे हैं। बीच में कोरोना के चलते कुछ व्यवधान जरूर आया। लेकिन नियमों का पालन करते हुए वे अपने कर्तव्य का निर्वहन करते रहे। उनके पद पर रहते किसी अन्य व्यक्ति को पीठ पर बैठाने का प्रयास करना अखाड़ों की परंपरा के विपरीत है। इससे एक गलत परंपरा कायम होगी। समस्त संत समाज व आचार्य परिषद को इसका संज्ञान लेकर हस्तक्षेप करना चाहिए। एक अल्प शिक्षित तथा जिसके एक राजनीतिक दल के साथ संबंध जगजाहिर हैं। ऐसे व्यक्ति को निरंजन पीठाधीश्वर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। इससे समस्त संत समाज का अपमान होगा। स्वामी प्रज्ञानानंद गिरी महाराज ने कहा कि 14 जनवरी को होने वाले निरंजनी अखाड़े के आचार्य महाण्डलेश्वर पट्टाभिषेक समारोह के खिलाफ कोर्ट के साथ वे संतों की अदालत में भी जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिन संतों की मौजूदगी में पट्टाभिषेक किया गया था दूसरे व्यक्ति का पट्टाभिषेक कर उन संतांे का भी अपमान करने का कार्य किया जा रहा है। स्वामी प्रज्ञानानंद गिरि महाराज ने प्रयागराज स्थित बड़े हुनमान मंदिर में विगत वर्ष स्वामी आशीष गिरि द्वारा की गयी आत्महत्या मामले पर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि आशीष गिरि ने आत्महत्या की या उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित किया गया इसका खुलासा वे मीडिया के समक्ष 14 जनवरी को करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे मामले में चुप रहने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा तथा धमकाया भी जा रहा है।