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पितरों के प्रति भावना और कृतज्ञता व्यक्त करने का पवित्र अनुष्ठान है श्राद्ध पक्ष- आचार्य संजीव भारद्वाज

हरिद्वार। धर्मगुरु आचार्य स्वामी संजीव भारद्वाज महाराज ने कहा है कि पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त जो व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुरूप शास्त्र विधि से श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है उसके सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। घर, परिवार, व्यवसाय तथा आजीविका में हमेशा उन्नति होती है। व्यक्ति का जीवन सदैव खुशहाल रहता है। इसलिए प्रतिवर्ष पितृपक्ष में सभी को अपने पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण अवश्य करना चाहिए। प्रेस को जारी बयान में आचार्य संजीव भारद्वाज महाराज ने कहा कि सभी सनातन धर्मावलंबियों को अपने पितरों की कृपा आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध पक्ष के मध्य तर्पण श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए। इस संसार में देहिक, दैविक और भौतिक तीनों पापों से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध से बढ़कर अन्य कोई उपाय नहीं है। पितरों के लिए समर्पित श्राद्ध पक्ष व्यक्ति को सहस्त्र गुना पुण्य फल प्रदान करता है। श्राद्ध पक्ष में विधान अनुसार पितरों का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। उन्हीं के शरीर में प्रविष्ट होकर पितृगण भी भोजन करते हैं और कुल के श्राद्धकर्ता को आशीर्वाद देकर पितृ लोक चले जाते हैं। आचार्य संजीव भारद्वाज ने कहा कि पितृलोक में निवास करने वाले पितृ श्रद्धा और भाव के भूखे हैं वह चाहे किसी भी रूप अथवा किसी भी लोक में हो श्राद्ध पक्ष के समय पृथ्वी पर विराजमान होते हैं। इसलिए श्राद्ध पक्ष की महत्वता और अधिक बढ़ जाती है। हिंदू धर्म में यह एक पवित्र अनुष्ठान है इसमें कोई भी व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा शांति और मुक्ति के लिए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। व्यावहारिक रूप से यह किसी भी हिंदू परिवार का अपने मृत पूर्वजों और माता-पिता के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और दिल से उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का तरीका होता है।

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