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कुंभ के स्वरूप को लेकर संतों के साथ निर्णायक वार्ता करे सरकार-श्रीमहंत मोहनदास

राकेश वालिया

हरिद्वार, 1 फरवरी। अखिल भारतीय श्रीपंच रामानंदीय खाकी अखाड़ा के श्रीमहंत मोहनदास महाराज ने प्रैस को जारी बयान में कहा है कि कुंभ मेले के स्वरूप को लेकर राज्य सरकार को संतो के साथ निर्णायक वार्ता करनी चाहिए। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र एवं भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व कुंभ मेला 12 वर्ष की लंबी अवधि के बाद आयोजित होता है। श्रद्धालुओं की आशाएं सनातन संस्कृति से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में किसी भी श्रद्धालु भक्त की भावना आहत ना हो सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैरागी कैंप क्षेत्र में जल्द से जल्द मेला प्रशासन को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। साथ ही संत महापुरुषों को किसी भी प्रकार के भ्रम में ना रखा जाए। यदि प्रशासन सहयोग नहीं करता है तो वैष्णव अखाड़े अपने स्तर पर कुंभ मेले की व्यवस्थाएं लागू कराएंगे। श्रीमहंत मोहन दास महाराज ने कहा कि बैरागी संत लाखों की संख्या में कुंभ मेले के दौरान पूरे देश से हरिद्वार आगमन करते है।ं ऐसे में उनकी व्यवस्था करना सरकार का दायित्व है। धर्म आस्था के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए। वृंदावन कुंभ के बाद वैष्णव संत हरिद्वार आएंगे। जिसके बाद यदि व्यवस्था मेला प्रशासन द्वारा नहीं की जाती है, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। सरकार कोरोना काल में अपनी रैलियां कर सकती है, सभाएं कर सकती है, सभी राजनैतिक कार्यक्रम हो सकते हैं तो फिर कुंभ के आयोजन को लेकर संतो की आस्था के साथ छेड़छाड़ क्यों की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि संत महापुरुषों ने आंदोलन किया तो सरकार को उन्हें संभालना बहुत मुश्किल होगा और पूरे विश्व में राज्य सरकार की बदनामी होगी। इसलिए मेला प्रशासन व राज्य सरकार को जल्द से जल्द कुंभ से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं पूरी करवानी चाहिए।

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