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संत परंपरा पूरे विश्व में भारत को गौरवान्वित करती है-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

हरिद्वार, 17 मई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि संत परंपरा पूरे विश्व में भारत को गौरवान्वित करती है और महापुरुषों ने हमेशा ही अपने ज्ञान और विद्वत्ता के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन किया है। ब्रह्मलीन स्वामी शालिग्राम महाराज एक महान संत थे। जिन की शिक्षाएं अनंत काल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। भूपतवाला स्थित श्री थानाराम आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी शालिग्राम महाराज की 31वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और ब्रह्मलीन स्वामी शालिग्राम महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद एवं स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शालिग्राम महाराज दिव्य महापुरुष थे। जिन्होंने जीवन पर्यंत सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए भारतीय संस्कृति और धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना योगदान प्रदान किया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। सतपाल ब्रह्मचारी महाराज अपने गुरू के अधूरे कार्यों को पूर्ण करते हुए निरंतर उनके द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। संत समाज उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए थानाराम आश्रम के अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि अपने गुरुजनों का आदर सम्मान करते हुए सभी को उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी शालिग्राम महाराज ज्ञान और विद्वता की एक पराकाष्ठा थे। जिन्होंने धर्म और संस्कृति के उत्थान के लिए सदैव ही भावी पीढ़ी को जागृत किया। समाज कल्याण में उनका अद्भुत योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत दुर्गादास, महंत दामोदर दास, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी शिवानंद, योगी सत्यव्रतानंद, स्वामी कमलेश्वरानंद, स्वामी कल्याणदेव, महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद, स्वामी सत्यानंद गिरी, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, राजमाता आशा भारती, महंत प्रह्लाद दास, महंत शिवम गिरी, स्वामी दिनेश दास, महंत शिवानंद, महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधाानंद गिरि, महंत सूरजदास, महंत अरुणदास, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह सहित बड़ी संख्या में संत महंत व श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

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