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ब्रह्मलीन मंहत रामरतनदास महाराज महान संत थे-बाबा हठयोगी

राकेश वालिया


हरिद्वार 12 दिसम्बर। बाबा हठयोगी महाराज ने कहा है कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है। और हरिद्वार के संतों ने भारतीय संस्कृति को हमेशा ही विश्व पटल पर अनोखे रूप में संजोया है। भूपतवाला स्थित वैष्णो देवी आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी राम रतन दास मौनी बाबा महाराज के श्रद्धांजलि समारोह में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी रामरतन दास महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। जिन्होंने सदैव भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरित किया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है। और ब्रह्मलीन स्वामी रामरतन दास महाराज तो साक्षात त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने अपने जीवन काल में गरीब असहायो कि मदद कर समाज को मानव सेवा की प्रेरणा दी। राष्ट्र कल्याण में उनका अहम योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। वैष्णो देवी आश्रम के परमाध्यक्ष महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि संतो के दर्शन मात्र से पापों से निवृत्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी रामरतन दास महाराज एक महान संत थे जिन्होंने अपने संपूर्ण जीवन काल में गौ सेवा व गंगा संरक्षण के साथ समाज को एक नई दिशा प्रदान की। उन्हीं के बताएं मार्ग पर चलकर उनके द्वारा गंगा तट से प्रारंभ किए गए सेवा प्रकल्पो में निरंतर बढ़ोतरी की जा रही है। और साथ ही उनके अधूरे कार्यों को पूरा किया जा रहा है। मंहत निर्मलदास, स्वामी रघुवन महाराज ने ब्रह्मलीन मंहत रामरतनदास महाराज को दिव्य मूर्ति बताते हुये कहा कि उन्हाने अपना पूरा जीवन लोकल्याण के कार्यो मंे समर्पित किया जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का महंत सुमित दास महाराज ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया इस दौरान स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत विष्णुदास, महंत प्रेमदास, स्वामी जगदीशानंद गिरी, महंत डोंगर गिरी, स्वामी रघुवन, सतपाल ब्रह्मचारी, महंत सूरजदास, महंत प्रेमदास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी शिवानंद, मंहत श्रवण मुनी, मंहत सुतीक्षण मुनी, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेशदास, महंत रामकृष्णदास, महंत श्याम प्रकाश, महंत अरुणदास, स्वामी नित्यानंद आदि संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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