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भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं अपरंपार है -श्रीमहंत रामरतन गिरी

हरिद्वार, 19 अगस्त। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा है कि भगवान श्रीकृष्ण का सभी अवतारों में सर्वोच्च स्थान है। जिन्होंने हमेशा मित्रता को ही महत्व दिया। चाहे सुदामा हो अर्जुन हो या फिर कलिकाल में भक्त माधव दास और मीरा श्रीकृष्ण अपने भक्तों के सखा और गुरु भी हैं। जो प्रेमी और सखा बनकर गुरु ज्ञान देते हैं। जो श्रद्धालु भक्त श्री कृष्ण की लीलाओं को आत्मसात कर उसे अपने जीवन व्यवहार में शामिल कर लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। मायापुर स्थित अखाड़े में श्रद्धालु भक्तों के समक्ष भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान करते हुए श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीकृष्ण 14 विद्या 16 अध्यात्मिक और 64 सांसारिक कलाओं में पारंगत थे। इसलिए प्रभु श्रीकृष्ण जग के नाथ जगन्नाथ और जग के गुरु जगतगुरु कहलाते हैं। जिनकी लीलाएं अपरंपार है। भगवान श्रीकृष्ण निष्काम कर्म योगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं देवी संपदाओं से सुसज्जित महान महापुरुष थे। जो सभी अवतारों में पूर्ण अवतार हैं। जिन्होंने भगवत गीता के माध्यम से अर्जुन को अपने कर्म के प्रति जागृत किया और उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया। उनके द्वारा प्रतिपादित किया गया ज्ञान आज भी पूरे विश्व में प्रसांगिक और लोकप्रिय है। श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि मानव जीवन में आकर परमात्मा भी सांसारिक चुनौतियों से नहीं बच सकते। इसलिए श्रीकृष्ण कहते हैं कि परिस्थितियों से घबराए नहीं। उनका डटकर मुकाबला करें। कर्म करना ही मानव जीवन का पहला कर्तव्य है और कर्मों से ही हम हर परेशानी से जीत सकते है।ं भगवान श्रीकृष्ण ने जिसको अपना माना जीवन भर उसका साथ दिया। अर्जुन सुदामा अथवा उद्धव हर किसी को उन्होंने अपना मान कर उनका कल्याण किया। श्रीकृष्ण की श्रद्धा पूर्वक की गई उपासना व्यक्ति के जीवन में प्रेम भावना और सुख समृद्धि का संचार करती है और उसके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। हम सभी को योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए।

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