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भगवान शिव की आराधना व्यक्ति का जीवन भवसागर से पार लगती है- श्रीमंहत रवींद्र पुरी


हरिद्वार 28 अगस्त। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा है कि देवों के देव महादेव भगवान शिव सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति देव हैं जो भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं। जो दिन दुखी दीनानाथ के दरबार में आ जाता है उसका जीवन भवसागर से पर हो जाता है। श्रावण मास के अंतिम सोमवार को कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने भगवान शिव का जल अभिषेक कर विश्व कल्याण की कामना की। मंदिर परिसर में आए श्रद्धालु भक्तों को शिव महिमा का महत्व बताते हुए श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि कैलाशपति भगवान शिव सभी को समान दृष्टि से देखते हैं। इसलिए इन्हें महादेव भी कहा जाता है। शिव का अर्थ कल्याणकारी माना गया है शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत है। श्रावण मास में की गई उनकी आराधना प्रत्येक भक्त को मनोवांछित फल प्रदान कर उसकी सभी दुश्वारियां को दूर करती है। क्योंकि श्रावण मास में भगवान शिव स्वयं सृष्टि का संचालन करते हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर तो प्रत्येक व्यक्ति के कण कण में  में विराजमान है लेकिन व्यक्ति को इसका बोध नहीं होता। धर्म के मार्ग पर अग्रसर रहकर ही ईश्वरीय सत्ता को प्राप्त किया जा सकता है। समस्त प्राणी मात्र अथवा जीवात्माओं के स्वामी शिव की आराधना से समस्त शिव परिवार की कृपा साधक को प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि समस्त ब्रह्मांड में जो कुछ भी है चाहे देवता हो या मनुष्य ग्रह हो या नक्षत्र, वृक्ष अन्य जलवायु सब भगवान शिव के ही रूप हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है। भगवान शिव सभी को समान रूप से देखते हैं और किसी भी प्राणी के कर्मफल को बदलने की शक्ति और अधिकार उन्हें ही प्राप्त है। इसलिए शिव की महिमा परंपरा है। अपनी शरण में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु भक्त को भगवान से सुख,समृद्धि, यश, आयु, बल प्रदान करते हैं।

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