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धर्म के मार्ग पर अग्रसर होकर परमात्मा की प्राप्ति होती है-जगद्गुरू स्वामी अयोध्याचार्य

राकेश वालिया

हरिद्वार, 30 अक्टूबर। जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि धर्म के मार्ग पर अग्रसर होकर ही व्यक्ति परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है और धार्मिक अनुष्ठानों से देश में नई ऊर्जा का संचार होता है जिससे सम्पूर्ण विष्व में एकता व अखण्डता कायम रहती है। भूपतवाला स्थित नरसिंह धाम यज्ञशाला में 51 ब्राह्मणों द्वारा विश्व शांति हेतु आयोजित यज्ञ में सम्मिलित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि धार्मिक प्रवृत्ती के लोगों को सत्य प्रयोजन के लिए संगठित करना ही यज्ञ का प्रमुख उद्देश्य है। यज्ञ से निकलने वाला धुंआ जहां जहां आवरण बनाता है। वहां का सम्पूर्ण वातावरण शुद्ध हो जाता है। पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि संतों के जीवन का उद्देष्य अपने भक्तों को ज्ञान का प्रकाष देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रषस्त करना होता है। जगद्गुरू स्वामी अयोध्याचार्य महाराज के सानिध्य में प्रतिवर्ष होने वाले यज्ञ से सम्पूर्ण भारत को एक नई दिषा मिलती है क्योंकि यज्ञ काल में उच्चारित पुनीत शब्द ध्वनि आकाश में व्याप्त होकर लोगों के अंतःकरण को सात्विक व शुद्ध बनाती है। बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि भगवान की शरण में आकर ही प्रत्येक व्यक्ति का कल्याण है और संतों के जप तप के माध्यम से ही व्यक्ति ईष्वर की शरण में पहुंच सकता है। उन्होंने विष्व कल्याण की कामना करते हुए कहा कि मां भगवती के आशीर्वाद से विश्व में सकारात्मक ऊर्जा और नवीन शक्ति का संचार हो इस हेतु यज्ञ का आयोजन किया गया है। समता, बंधुत्व और समरता की भावना का विकास हो। और लोककल्याण का पथ प्रशस्त हो। उन्होंने कहा कि संतों द्वारा किए गए धार्मिक अनुष्ठानों से विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। क्योंकि संतों का संपूर्ण जीवन मानवता की रक्षा हेतु समर्पित रहता है। महंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि जिस स्थान पर ईष्वरीय साधना के लिए पवित्र यज्ञ का आयोजन हो जाता है वह सदैव के लिए पूजनीय हो जाता है। यज्ञ विधि द्वारा श्रद्धालु भक्तों के समस्त कष्ट दूर होते हैं। हवन में प्रयुक्त प्रदार्थ वायुभुत होकर प्राणिमात्र को प्राप्त करते हुए उनके स्वास्थ्यवर्द्धन व रोग निवारण में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि वेद मंत्रोच्चारण द्वारा ज्ञान को अग्नि रूपी सत्य में डाल दिया जाता है। तब इस कर्म का प्रभाव अलग हो जाता है। अग्नि उस ज्ञान को संसार में प्रकाशित कर अंधकार को दूर करती है। श्रद्धालु भक्तों के घरों में यश और वैभव का आगमन होता है। सभी को भगवान की शरण में आकर उनकी आराधना करनी चाहिए। तभी व्यक्ति भवसागर से पार हो सकता है। म0म0 स्वामी सोमेष्वरानंद महाराज ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति को साक्षात भगवान के दर्षन हो जाते है। म0म0 स्वामी हरिचेतनानंद, महंत निर्मलदास महाराज ने कहा कि जगद्गुरू स्वामी अयोध्याचार्य ने जो 51 पडितों द्वारा महा अनुष्ठान किया है इससे पूरे विष्व में कोरोना जैसी महामारी का खात्मा होगा और विष्व में दोबारा खुषहाली आयेगी। इस अवसर पर महंत प्रेमदास, महंत विष्णुदास, म0म0 स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी ऋषिष्वरानंद, स्वामी शेषनारायणाचार्य, महंत विष्णुदास, महंत अरूणदास, महंत सूरजदास, महंत दुर्गादास, महंत सुमितदास, स्वामी केषवानंद, निरंजन स्वामी, महंत प्रेमदास, महंत रघुवीर दास, साध्वी विजय लक्ष्मी, साध्वी वैष्णवी जयश्री, महंत जानकीदास, महंत वीरेश्वर दातार आदि उपस्थित रहे।

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