विक्की सैनी
हरिद्वार, 10 जुलाई। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि देवों के देव महादेव भगवान शिव ध्यान और ज्ञान का प्रतीक हैं। जो भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उनके सभी मनोरथ पूरे करते हैं। जो श्रद्धालु भक्त श्रावण मास में विधि विधान से महादेव की आराधना करता है। उसके सभी कष्टों का निवारण भगवान शिव स्वयं करते हैं। भूपतवाला स्थित हरिधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में जारी भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चंना जारी है। शुक्रवार को विभिन्न प्रकार के दुर्लभ फूलों द्वारा भगवान शिव का श्रंग्रार कर रूद्राभिषेक किया गया। इस दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि देवों के देव महादेव भगवान शिव सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति हैं और अनादि सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। जो व्यक्ति भगवान भोलेनाथ की शरण में आ जाता है। उसका जीवन स्वयं ही सफल हो जाता है। स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव मनुष्य के कर्मो को भलीभांति निरीक्षण कर उसे वैसा ही फल प्रदान करते हैं। भगवान शिव निराकार परमात्मा हैं। जो भक्तों की मंशा जानकर उनके सभी बिगड़े कार्य बनाते हैं। भगवान शिव की आराधना सदैव कल्याणकारी और भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव के रूद्राभिषेक से पातक एवं महापातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं। साधक में शिवत्व का उदय होता है। साधक के सभी मनोरथ पूरे होते हैं। उन्होंने कहा कि एक मात्र सदाशिव के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वतः ही हो जाती है। शिव कृपा पाने का उत्तम समय श्रावण मास होता है। सावन में प्रतिदिन नियमपूर्वक विधि विधान से गंगा जल व बेल पत्र से भगवान शिव का जलाभिषेक करने से शिव कृपा प्राप्त होती है। भगवान शिव के साथ माता पार्वती भी पूजा अवश्य करनी चाहिए। भगवान शिव व भगवती का सम्मिलित रूप से पूजन करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति है। भगवान शिव एक मात्र ऐसे देव हैं जो मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होकर भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण कर देते हैं। इस अवसर पर महंत नत्थीनंद गिरी, महंत विकास गिरी, आचार्य मनीष जोशी, मोनू गिरी आदि मौजूद रहे।