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मुख्यमंत्री को संतों से वार्ता करने के बाद ही कुंभ मेले पर निर्णय लेना चाहिए-महंत लोकेश दास

राकेश वालिया

हरिद्वार, 19 फरवरी। कुंभ मेले के दौरान राज्य सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। बैरागी कैंप स्थित अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े में प्रैस को जारी बयान में जगन्नाथ धाम के अध्यक्ष महंत लोकेश दास महाराज ने कहा है कि राज्य सरकार को संतो के साथ बैठकर कुंभ मेले पर निर्णय लेना चाहिए। कुंभ मेला संत और श्रद्धालु भक्तों का है ना की सरकार का। सरकार द्वारा कोई भी निर्णय संत समाज अथवा श्रद्धालु भक्तों पर थोपा जाना सरासर गलत है। मुख्यमंत्री संत समाज के पास आकर वार्ता करें। इसके बाद ही कोई निर्णय सामूहिक रूप से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री कुंभ मेले के दौरान नहीं आते हैं तो चुनाव के वक्त भी उन्हें संतो के पास नहीं आना चाहिए। निर्मोही अखाड़े के सचिव महंत रामशरण दास महाराज ने कहा कि सरकार द्वारा कुंभ मेला सीमित किया जाना ठीक निर्णय है। परंतु संतों एवं श्रद्धालु भक्तों के लिए गाइड लाइन में कड़े नियमों का पालन करा पाना संभव नहीं है। मात्र सनातन धर्म पर ही कुठाराघात किया जा रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीख लेकर मेले का आयोजन करना चाहिए । बैरागी संतों की व्यवस्था में 2 माह से अधिक का समय लगता है। तभी जाकर उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो पाती हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए लगता है कि राज्य सरकार ने ठान लिया है कि वह कुंभ मेले का आयोजन नहीं कराएगी। कोरोना का बहाना बनाकर हिन्दुओं की आस्था पर कुठाराघात किया जा रहा है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महंत प्रहलाद दास महाराज ने कहा कि वृंदावन मेले के बाद बड़ी संख्या में वैरागी संत हरिद्वार बैरागी कैंप में कूच करेंगे। जिसके लिए सरकार को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैरागी संतो के आने के बाद वैष्णव समाज कठोर निर्णय लेकर उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगा। जिसे फिर सरकार भी नहीं संभाल पाएगी और सरकार पर धर्म विरोधी होने का ठप्पा लगेगा। इस दौरान महंत अमित दास, महंत सिंटू दास, महंत अगस्त दास आदि भी उपस्थित रहे।

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