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मठ मंदिरों के संरक्षण के लिए कानून बनाए केंद्र सरकार-महंत गौरीशंकर दास


मुख्यमंत्री एवं डीजीपी से मुलाकात करेगा संतों का प्रतिनिधिमण्डल
हरिद्वार, 4 जुलाई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि संपूर्ण भारत वर्ष में मठ मंदिर, अखाड़ों के संरक्षण संवर्धन के लिए केंद्र सरकार को कड़ा मठ मंदिर संरक्षण कानून बनाना चाहिए। जिससे जर्जर अवस्था में पड़े अथवा असामाजिक तत्वों द्वारा कब्जाए गए मठ मंदिरों की सुरक्षा हो सके और सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार भली-भांति हो सके। बैरागी कैंप स्थित श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े में प्रैस को जारी बयान में महंत गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व भगवावेश धारण कर धार्मिक मठ मंदिरों व अखाडों की धार्मिक संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने के लिए षड़यंत्र रच रहे हैं। जिससे पूरे संत समाज की छवि खराब हो रही है। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए। उन्होंने कहा कि अखाड़े संत परंपरा के वाहक हैं। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था अखाड़ों से जुड़ी हुई है। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के नेतृत्व में अखाड़ा परंपरा का पालन करते हुए सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में योगदान कर रहा है। अखाड़े द्वारा कई सेवा प्रकल्पों का संचालन भी किया जा रहा है। लेकिन कुछ षड़यंत्रणकारी असामाजिक तत्व अखाड़े पर अवैध रूप से कब्जा करना चाहते हैं। जिसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। संत समाज की छवि को खराब करने में जुटे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज से भी आग्रह किया जाएगा। संत समाज को एकजुट होकर संत परंपरा की छवि खराब रहे असामाजिक तत्वों का बहिष्कार करना चाहिए। जिससे कोई असामाजिक तत्व मठ मंदिरों, अखाड़ों की संपत्ति पर कब्जा ना कर सके। षड्यंत्र के तहत सनातन धर्म पर कुठाराघात करके भारत की एकता और अखंडता को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। जिसे संत समाज कामयाब नहीं होने देगा। असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर शीघ्र ही संतों का एक प्रतिनिधिमण्डल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व पुलिस महानिरीक्षक अशोक कुमार से भेंटकर उन्हें पूरे प्रकरण से अवगत कराकर असामाजिक तत्वों की गिरफ्तारी की मांग करेगा।

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