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आश्रम की संपत्ति को खुर्दबुर्द नहीं होने दिया जाएगा-महंत निर्मलदास

महंत निर्मलदास महाराज ने आरोपों को बताया निराधार

हरिद्वार, 17 अगस्त। विष्णु धाम आश्रम के महंत निर्मल दास महाराज ने स्वामी कमला देवी द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। प्रैस को जारी बयान में महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि वह 1996 से विष्णु धाम आश्रम में रह रहे हैं और 2008 में स्वामी विष्णु देव महाराज द्वारा उन्हें आश्रम का महंत बनाया गया तथा 2012 में स्वामी विष्णु देव महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने पर संत समाज और सभी तेरह अखाड़ों द्वारा उन्हें महंताई चादर देकर आश्रम का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। जिसका रिकॉर्ड आश्रम के महंताई रजिस्टर मे भी दर्ज है। महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि उनके सारे दस्तावेज वोटर आईडी, आधार कार्ड व पासपोर्ट आदि विष्णु धाम आश्रम के नाम पर ही दर्ज हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि स्वामी कमला देवी और उनका परिवार विष्णु धाम आश्रम की संपत्ति को बेचकर खुर्दबुर्द करना चाहते हैं। जिसका पता चलने पर उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके आधार पर पुलिस ने स्वामी कमला देवी सहित तीन अन्य लोगों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया था। उन्होंने बताया कि यह विवाद 2013 से न्यायालय में चल रहा है और इसका महंत धर्मदास और विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष नितिन गौतम से कोई लेना देना नहीं है। स्वामी कमला देवी द्वारा कोर्ट से उनके खिलाफ जो मुकदमा दर्ज कराया गया है, वह एकदम गलत है। स्वामी कमला देवी कोर्ट को गुमराह कर रही हैं। धार्मिक संपत्ति को बेचने का अधिकार किसी को नहीं है। आश्रम की संपत्ति को किसी भी प्रकार से खुर्दबुर्द नहीं होने दिया जाएगा। महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि सन्यास परंपरा अपनाने के बाद किसी भी संत का अपने परिवार से कोई वास्ता नहीं रह जाता है। लेकिन स्वामी कमला देवी और उनका परिवार बार-बार आश्रम में आकर दबंगई करते हैं। और आश्रम ना छोड़े जाने पर उन्हें जान से मारने की धमकी देते हैं उन्होंने कहा कि विष्णु धाम आश्रम धार्मिक संपत्ति है। जिसको किसी भी रूप में बेचा नहीं जा सकता। लेकिन वह यदि समय रहते कानूनी कार्रवाई नहीं करते तो आश्रम को बेच दिया गया होता। उन्होंने कहा कि आश्रम को खुर्दबुर्द होने से बचाने के लिए वह प्रत्येक स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे और आश्रम की संपत्ति को बिकने नहीं देंगे। क्योंकि गुरू द्वारा बनायी गयी संपत्ति को कोई नहीं बेच सकता है।

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