हरिद्वार, 26 नवम्बर। श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि भारतीय संविधान हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक होने की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं। वही इसमें निहित मौलिक कर्तव्य में हमें हमारी जिम्मेदारियां का भी एहसास कराया जाता है। भूपतवाला स्थित श्री साधुबेला सेवा आश्रम ट्रस्ट में संविधान दिवस के अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को भारतीय संविधान का महत्व बताते हुए आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष संविधान दिवस मनाया जाता है। भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती के रूप में भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस मनाया गया। डा.भीमराव अंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं का प्रचार करने के लिए यह महत्वपूर्ण दिवस चुना गया। भारत के संविधान के निर्माण में डा.भीमराव अंबेडकर के महान योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आचार्य स्वामी गौरी शंकर दास महाराज ने कहा कि एक संविधान किसी देश में शासन के लिए आधार प्रदान करता है। जो यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि सभी के हित और जरूरतों को ध्यान में रखा जाए। भारत एक विविधताओं का देश है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पहले विशाल भारत देश में सैकड़ों भाषाएं बोली पहनावे खानपान और अन्य विविधता देखने को मिलती है। ऐसे में संविधान ही वह कड़ी है जो हर भारतवासी को एकता के सूत्र में पिरोती है। संविधान देश के हर नागरिक को एक समान अधिकार देता है और एक समान नियमों में बांधता भी है। स्वामी गौरी शंकर दास महाराज ने कहा कि किसी भी देश का संविधान चाहे कितना ही सुंदर सुव्यवस्थित और सुदृढ क्यों ना बनाया गया हो यदि उसे चलाने वाले देश के सच्चे निस्वार्थ सेवक ना हो तो संविधान भी निरर्थक है। उन्होंने सभी देशवासियों को संविधान दिवस की शुभकामनाएं प्रदान करते हुए कहा कि जब भारत के संविधान को अपनाया गया था। तब भारत के नागरिकों ने शांति शिष्टता और प्रगति के साथ एक नई संवैधानिक वैज्ञानिक स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। आज के आधुनिक युग में आवश्यकता है कि सभी को एकजुट होकर भारत को उन्नति की ओर अग्रसर करना होगा। तभी एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सकता है और वह दिन दूर नहीं होगा कि जब भारत विश्व गुरु के रूप में संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करेगा।
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