हरिद्वार, 13 नवम्बर। युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा साक्षात भगवान का स्वरूप है। जिसके पठन एवं श्रवण से भोग और मोक्ष दोनों सुलभ हो जाते हैं। मन की शुद्धि के लिए इससे बड़ा कोई साधन नहीं है। श्री साधु गरीबदासी सेवा आश्रम ट्रस्ट में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से कलयुग के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं और प्रभु श्री हरि हृदय में विराजते हैं। भोग और मुक्ति के लिए तो एकमात्र भागवत शास्त्र ही पर्याप्त है। हजारों अश्वमेघ यज्ञ भी इस कथा का अंश मात्र नहीं है। फल की दृष्टि से श्रीमद्भागवत कथा की समानता काशी, पुष्कर या प्रयाग कोई भी तीर्थ नहीं कर सकता। इसीलिए सभी को समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए और अपने बच्चों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। स्वामी रवि देव शास्त्री महाराज ने कहा कि जिस घर में नित्य भागवत कथा होती है। वह तीर्थ रूप हो जाता है। कथा का केवल पठन श्रवण ही पर्याप्त नहीं है। इसके साथ अर्थबोध, मनन, चिंतन, धारण और आचरण भी आवश्यक है। श्रीमद् भागवत कथा से जो फल अनायास ही सुलभ हो जाता है। वह अन्य साधनों से दुर्लभ ही रहता है। जगत में भागवत शास्त्र से निर्मल कुछ भी नहीं है। इसलिए भागवत रस का पान सभी के लिए सर्वदा हितकारी है। स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी है। जब इसे हम अपने जीवन व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय मंगलमय बना कर अपना आत्म कल्याण करें। श्रीमद् भागवत कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जागृत होता ह।ै कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान परिवार दर्शन लाल लूथरा, श्रीमति सुदेश लूथरा, रमेश लूथरा, कमलेश लूथरा, राजीव बहल, ऋतु बहल, बलदेव राज लूथरा, श्रीमति संदेश, नितिन लूथरा, कनिका लूथरा, विक्रम लूथरा, सुगन्धा लूथरा, अनुराग धवन, अनिता धवन, अशोक ढल्ला, सीमा ढल्ला, सुशील निश्चल, पूनम निश्चल, राजीव निश्चल, नीलू निश्चल, सार्थक बहल, आदि ने कथा पधारे सभी संतो का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया आंैर उनसे आर्शीवाद प्राप्त किया।
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