हरिद्वार, 29 अप्रैल। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के कोरोना से संक्रमित श्रीमहंत मनीष भारती ब्रह्मलीन हो गए। श्रीमहंत मनीष भारती का एम्स में इलाज चल रहा था। इससे एक दिन पूर्व श्रवणनाथ मठ के अध्यक्ष श्रीमहंत लखनगिरी महाराज ब्रह्मलीन हो गए थे। ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखनगिरी महाराज भी कोरोना से संक्रमित थे। उनका भी ऋषिकेश एम्स में इलाज चल रहा था। दो दिन में अखाड़े के दो प्रमुख संतों के ब्रह्मलीन हो जाने से अखाड़े में शोक की लहर दौड़ गई है। कुछ दिन पूर्व निरंजनी अखाड़े की साध्वी प्रेमलता गिरी का निधन हो गया था। अखाड़े के तीन संतों के ब्रह्मलीन होने से संतों में भय भी है। श्रीमहंत लखनगिरी महाराज व श्रीमहंत मनीष भारती के ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमहंत लखनगिरी व श्रीमहंत मनीष भारती के ब्रह्मलीन होने से निंरजनी अखाड़े को जो क्षति हुई है। उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि निधन चाहे संत का हो या आम व्यक्ति है। समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है। उन्होंने कहा कि लेकिन यह बेहद दुखद है कि परिवार के लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने से कतरा रहे हैं। किसी परिजन का निधन होने पर परिवार के लोगों को केंद्र सरकार की गाइड लाईन का पालन करते हुए मास्क आदि लगाकर अंतिम संस्कार में अवश्य शामिल होना चाहिए। निंरजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज व आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखन गिरी व श्रीमहंत मनीष भारती विद्वान संत थे। सनातन धर्म के संवर्द्धन तथा अखाड़े की परंपराओं को मजबूत करने में दोनों का अहम योगदान रहा है। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। मां गंगा दोनों संतों को अपने श्रीचरणों में स्थान दे। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखन गिरी व श्रीमहंत मनीष भारती अखाड़े के प्रमुख संत थे। कोरोना से संक्रमित होने पर दोनों को एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत लखन गिरी व श्रीमहंत मनीष भारती के ब्रह्मलीन होने से संत समाज को गहरा आघात पहुंचा है। दोनों संतों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी कमी अखाड़े को सदैव खलेगी। उन्होंने बताया कि दोनों ब्रह्मलीन संतों को नीलधारा तट स्थित समाधि स्थल पर भूसमाधि दी गयी। आनन्द अखाड़े के महंत शंकरानंद सरस्वती महाराज, महंत गिरिजानंद सरस्वती महाराज, निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत ओमकार गिरी, महंत नरेश गिरी, महंत नीलकंठ गिरी, श्रीमहंत राधेगिरी, दिगंबर आशुतोष पुरी, दिगंबर बलवीर पुरी, स्वामी आनन्द गिरी, स्वामी रघुवन, स्वामी अभयानंद, स्वामी सुमितानंद आदि ने भी श्रीमहंत लखनगिरी महाराज व श्रीमहंत मनीष भारती के ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त किया।
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