हरिद्वार, 9 अप्रैल। साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरी शंकर दास महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। भूपतवाला स्थित साधु बेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य स्वामी गौरी शंकर दास महाराज ने कहा कि केवल धर्म ग्रंथों का अध्ययन करना ही हितकर नहीं है। धर्म ग्रंथों को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची भक्ति है। श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के बैकुंठ का मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीराम व श्री कृष्ण के आदर्शों को हम अपने जीवन में उतार कर परम उत्कर्ष को प्राप्त कर सकते हैं। कथा व्यास प्रकाश कृष्ण शास्त्री महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है। भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा सुनने से राजा परीक्षित को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और कलयुग में भी इसके साक्षात प्रमाण देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर प्रत्येक व्यक्ति के कण-कण में विराजमान है। परंतु व्यक्ति को उसका बोध नहीं होता। श्रीमद् भागवत कथा व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्काकार करवाकर उसे सुख समृद्धि प्रदान करती है। स्वामी बलराम मुनि महाराज ने कहा कि कंस ने अपनी मृत्यु के भय से देवकी और वासुदेव को बेडियों से बांधकर जेल में डाल दिया था। लेकिन जैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। जेल के सारे पहरी सो गए और सारे ताले अपने आप खुलते चले गए। इसी प्रकार भगवान की भक्ति करने से व्यक्ति की सारी व्यथाएं स्वयं ही समाप्त हो जाती हैं और उसकी प्रगति के मार्ग खुलते चले जाते हैं। इसलिए समय निकालकर प्रभु भक्ति में अवश्य लीन रहना चाहिए। इस दौरान जीतू भाई, हरि भाई, गंगा प्रसाद बड़ौला, सतीश भागीरथी, गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, प्रदीप, सुरेखा, आदित्य खेमका, दर्शन खेमका सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
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