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किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है केंद्र सरकार-अनूप सिंह सिद्धू

विक्की सैनी

किसानों के समर्थन में उतरे सिख समाज ने की कृषि कानून वापस लेने की मांग

हरिद्वार, 8 दिसंबर। श्री गुरूनानक देव जी धरम प्रचार समिति के तत्वाधान में देश व्यापी बंद के आह्वान में सिख समुदाय के लोगों ने समर्थन करते हुए काले कानून को वापस लेने मांग की। भगत सिंह चैक से चंद्राचार्य चैक तक विरोध प्रदर्शन रैली निकाली। संरक्षक बाबा पंडत व अध्यक्ष सत्यपाल सिंह चैहान ने कहा कि किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों को तत्काल रद्द किया जाना चाहिए। देश का अन्नदाता काफी समय से काले कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहा है। लेकिन सरकार की हठधर्मिता के चलते किसानों की मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं देना सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करती है। दिल्ली में किसान आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन केंद्र के मंत्री किसानों की मांगों पर कोई विचार नहीं कर रहे हैं। सरकार की उदासीनता साफतौर पर देखी जा सकती है। देश का किसान खुशहाल होगा तो देश आर्थिक रूप से मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द इन कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। उपाध्यक्ष अनपू सिंह सिद्धू व सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं। किसान को अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करना पड़ रहा है। देश का अन्नदाता काले कानून को वापस लेने की मांग कर रहा है। लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। मंत्री मात्र अनर्गल बयानबाजी कर किसानों को बहकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हजारों की संख्या में वृद्ध किसान, महिलाएं, बच्चे आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार की हठधर्मिता के चलते अब तक किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लिया जा रहा है। देश का अन्नदाता अपने हितों को लेकर आंदोलन करने को मजबूर है। लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की अनदेखी कर रहे हैं। सत्ता में आने से पूर्व किसानों की संपूर्ण समस्याएं समाप्त करने की घोषणा करने वाली भाजपा सरकार किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है। इसे सहन नहीं किया जाएगा। अनूप सिंह सिद्ध ने कहा कि कृषि कानून में किसानों से अदालत जाने का अधिकार भी छीन लिया गया है। यह पूरी तरह किसानों को बंधुआ मजूदर बनाने की कोशिश है। इस तरह की कोशिशों को सफल नहीं होने दिया जाएगा। प्रदर्शन करने वालों में सुखदेव सिंह, उज्जल सिंह, हरभजन सिंह, हरभजन सिंह बाजवा, बलविंदर सिंह, लवप्रीत सिंह हजरांवा, हरप्रीत सिंह, जोधा सिंह बाट, जुझार सिंह, हरजोत सिंह संधू, सतविन्द्र ंिसंह, गुरप्रीत सिंह, मस्तान सिंह, गुलजिन्दर सिंह, सोनू सिंह, प्रगट सिंह, मालक सिंह, जगजीत सिंह, देसा सिंह, शरण सिंह, जसविन्दर सिंह बराड़ा, गुरप्रीत सिंह, अविजीत सिंह, प्रिंसपाल सिंह, जगदीप सिंह, लवप्रीत सिंह आदि शामिल रहे।

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