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ज्ञान की अविरल धारा है श्रीमद्भागवत कथा-नरेशचंद्र शास्त्री

हरिद्वार, 13 अगस्त। कथा व्यास भागवताचार्य नरेशचंद शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा पतित पावनी मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। जगजीतपुर स्थित श्री प्राचीन सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए कथा व्यास ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। सोया हुआ ज्ञान और वैराग्य कथा श्रवण से जागृत हो जाता है और व्यक्ति के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण का लाभ तभी है जब हम इसमें निहित ज्ञान को आत्मसात कर इसे अपने जीवन व्यवहार में शामिल करें। वास्तव में सभी ग्रंथों का सार श्रीमद् भागवत कथा मोक्षदायिनी है। श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के मुख्य यजमान चैधरी कुलदीप सिंह वालिया ने कहा कि सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का लाभ प्राप्त होता है। इसलिए समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान का अद्भुत भंडार है और देवताओं को भी दुर्लभ है। वास्तव में कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते हैं। देवभूमि उत्तराखंड और हरिद्वार की पावन धरती पर श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से सहस्त्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। इसके लिए बच्चों में अच्छे संस्कारों को जागृत करना चाहिए और धर्म और संस्कृति के प्रति प्रेरित करना चाहिए। धर्म संस्कृति का बोध होने पर बच्चे बड़े होकर अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण करेंगे। इस अवसर पर रजनी वालिया, यज्ञाचार्य पंडित पंकज जोशी, पार्षद विकास कुमार, अनिल मिश्रा, नितीश चैधरी, रेखा, रितिका, ख्याति जौहरी, स्वाति, अनुष्का, सुनीता, नीलम, पूनम, कौशल, शिवानी जौहरी, रश्मि जौहरी, पुष्पा, सोनिका, उषा, ब्रजेश आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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