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बैकुण्ठ का मार्ग प्रशस्त करती है श्रीमद्भागवत कथा-स्वामी रविदेव शास्त्री

हरिद्वार, 15 नवम्बर। युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा है कि श्रीमद्भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से उसकी मृत्यु का भय मिटाकर उसके बैकुंठ का मार्ग प्रशस्त करती है और जो श्रद्धालु भक्त नियमित रूप से संपूर्ण भागवत का सार ग्रहण कर लेता है। उसका जीवन सदैव उन्नति की ओर स्वतः ही अग्रसर हो जाता है। श्री साधु गरीब दासी सेवा आश्रम ट्रस्ट में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत देवताओं को भी दुर्लभ है और भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। श्रीमद्भागवत में सभी ग्रंथों का सार निहित है। इस कथा का श्रवण करना या भक्तों को श्रवण कराना दोनों ही आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती हैं। भगवान श्रीहरि के कृपापात्रों को कोई भयभीत नहीं कर सकता, क्योंकि इस कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है। कथा के श्रवण से व्यक्ति आत्मज्ञान की प्राप्ति करते हुए सांसारिक दुखों से मुक्त होता है। स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत भगवान श्री कृष्ण की दिव्य वाणी है। जो व्यक्ति को संसार का बोध कराकर उसे परम आनंद की प्राप्ति कराती है। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का अलौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में मोक्ष प्राप्ति एवं धर्म लाभ के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते थे। कलयुग में भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से राजा परीक्षित को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलता है। इसलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान दर्शन लाल लूथरा, श्रीमती सुदेश लूथरा, रमेश लूथरा, कमलेश लूथरा, राजीव बहल, रितु बहल, बलदेव राज लूथरा, श्रीमती संदेश लूथरा, नितिन लूथरा, कनिका लूथरा, विक्रम लूथरा, सुगंधा लूथरा, अनुराग धवन, अनीता धवन, अशोक धल्ला, सीमा धल्ला, सुशील निश्चल, पूनम निश्चल, राजीव निश्चल, नीलू निश्चल, सार्थक बहल आदि ने कथा में पधारे सभी संत महापुरुषों का स्वागत कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

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