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महामनीषी निरंजन स्वामी ने किया नीदरलैंड के लार्ड शिवा टेम्पल के अध्यक्ष पंडित अवि शर्मा का स्वागत

विश्व गुरु के रूप में संपूर्ण जगत का मार्गदर्शन करता आ रहा है भारत- निरंजन स्वामी

हरिद्वार, 1 जुलाई। पुरुषार्थ आश्रम के अध्यक्ष महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज ने कहा है कि देश और दुनिया में भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने में संत महापुरुषों की अहम भूमिका है और संत परंपरा पूरे विश्व में भारत को महान बनाती है। भारत माता पुरम स्थित श्री पुरुषार्थ आश्रम में नीदरलैंड से पधारे लॉर्ड शिवा हिंदू टेंपल के अध्यक्ष पंडित अवि शर्मा के स्वागत समारोह में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए निरंजन स्वामी महाराज ने कहा कि देश विदेश में धर्म की पताका को फहराने में पंडित अवि शर्मा ने जो भूमिका निभाई है वह सराहनीय है। भारतीय सनातन धर्म के एंबेसडर के रूप में जगह जगह मंदिरों की स्थापना और भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का प्रचार उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है। लंदन और नीदरलैंड में भगवान शिव के मंदिर की स्थापना कर वहां भारतीय संस्कृति के पारंपरिक त्योहारों को मनाना संपूर्ण भारत वासियों के लिए गर्व की बात है। पंडित अवि शर्मा समय-समय पर विदेशों में संत समाज का उद्बोधन और दर्शन करा कर भक्तों में भारतीय संस्कृति का संचार कर रहे हैं। जिस से प्रभावित होकर विदेशी लोग भी सनातन परंपराओं को अपना रहे हैं। भारत विश्व गुरु के रूप में सदैव ही संपूर्ण जगत का मार्गदर्शन करता चला आ रहा है और प्राचीन कालीन ऋषि और संत परंपरा मात्र भारत में ही उद्गम हुई। जिसके पश्चात आज संपूर्ण जगत और उसमें रहने वाले भारतवासी भारत को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। लॉर्ड शिवा टेंपल के अध्यक्ष पंडित अवि शर्मा ने बताया कि नीदरलैंड लंदन बेल्जियम पोलैंड सहित संपूर्ण यूरोप में वह धार्मिक यात्रा कर चुके हैं। समाज में सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो और प्रत्येक राष्ट्र में नैतिक भावनाओं की जागृति के लिए धार्मिक यात्रा के माध्यम से सद्भावना का संदेश दिया जाता है। भारत अनेकता में एकता का स्वरूप दर्शाता है और सनातन धर्म शांति प्रिय धर्म है जो प्रत्येक जगत के वासी को शांति प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। यही भावना हमारे भारत को महान बनाती है। विदेश में हिंदू देवी देवताओं के मंदिरों का निर्माण कर धर्म की अलख को जगाने से मन में आनंद की अनुभूति होती है और समाज को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है। उन्होंने संत समाज को आमंत्रित किया है और कहा कि वह चाहते हैं हरिद्वार का संत समाज विदेश जाकर भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं का ज्ञान श्रद्धालु भक्तों को कराएं और समस्त विश्व में धर्म एवं संस्कृति की भावना जागृत हो यही उनके जीवन का मूल उद्देश्य है।

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