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ब्रह्मलीन महंत सतनाम सिंह महाराज विद्वान महापुरूष थे-महंत जसविन्दर सिंह

हरिद्वार, 20 जुलाई। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में ब्रह्मलीन महंत सतनाम सिंह महाराज का स्मृति पर्व मनाया गया। इस दौरान अखाड़े में स्थित गुरूद्वारे में अरदास व शबद कीर्तन किया गया। श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए अखाड़े के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और महापुरूषों ने सदैव ही समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर मार्गदर्शन किया है। ब्रह्मलीन महंत सतनाम सिंह महाराज एक दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने जीवन पर्यन्त समाज को गरीब असहाय लोगों की सेवा के लिए प्रेरित किया। ऐसे महापुरूषों को संत समाज नमन करता है। महामण्डलेश्वर प्रबोधानंद गिरी महाराज ने कहा कि महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी प्रेरणा सदैव समाज को लाभान्वित करती रहती है। ब्रह्मलीन महंत सतनाम सिंह महाराज एक विद्वान महापुरूष थे। जिन्होंने भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर सदैव युवा संतों को राष्ट्र निर्माण में सहयोग के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है। ब्रह्मलीन महंत सतनाम सिंह महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन निर्मल जल के समान व्यतीत किया। ऐसे तपस्वी महापुरूष समाज एवं संतों के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेंगे। ब्रह्मलीन महंत सतनाम सिंह महाराज के शिष्य महंत अग्रेज सिंह महाराज ने कहा कि पूज्य गुरूदेव एक महान संत व त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके बताए मार्ग पर चलकर उनके अधूरे कार्यो को पूर्ण किया जा रहा है। उनके द्वारा दिए गए समाज सेवा के संदेश को निरंतर प्रचारित प्रसारित कर मानव सेवा में सहयोग प्रदान किया जा रहा है। इस अवसर पर म.म.स्वामी ललितानंद गिरी, महंत बलजीत सिंह, संत गुरमीत सिंह, महंत अमनदीप सिंह, महंत खेम सिंह, संत निर्भय सिंह, संत हरजोत सिंह, बाबा गुरजीत सिंह, संत शशीकांत सिंह, महंत निर्मल सिंह, संत जसकरण सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत सुखमन सिंह, ज्ञानी जैल सिंह, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, संत रोहित सिंह, संत विष्णु सिंह, स्वामी दिनेश दास, महंत गुरमीत सिंह, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत प्रेमदास आदि सहित बड़ी संख्या में संतजन उपस्थित रहे।

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