गौरव रसिक/योगेश पांडे
हरिद्वार 20 जून। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन विवाद दिन प्रतिदिन नया रूप ले रहा है। जहां कोर्ट से स्टे मिलने के बाद महंत रघुमुनि महाराज की बड़ी जीत हुई है। वही दुर्गादास महाराज गुट को शहरी विधायक मदन कौशिक के खिलाफ पत्र लिखकर सोशल मीडिया में वायरल करना भारी पड़ता नजर आ रहा है। क्योंकि उसके बाद से ही लगातार संतों ने दुर्गादास गुट से दूरी बना ली है। और दुर्गादास महाराज और उनके अन्य संत साथी महंत रघुमुनी महाराज को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त बताने में नाकाम साबित हो रहे हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि श्रीमहंत महेश्वर दास महाराज इस पूरे प्रकरण को लेकर चुप क्यों हैं और मीडिया के आगे सारा मामला उजागर करने से क्यों बच रहे हैं। वही कल तक बड़े अखाड़े के लाडले विधायक आज उन्ही संतो के लिए असामाजिक तत्व बन गए हैं। दूसरी ओर इस विवाद में कूदे योगाचार्य की भी सारी क्रियाएं असफल होती नजर आ रही है। उनके द्वारा मुखिया महंत पर उंगली उठाए जाने के बाद कई संतो ने नाराजगी जाहिर की है। महंत रघुमुनि महाराज के बढ़ते कद और उनकी कार्यशैली से कहीं संत प्रभावित हो रहे हैं। जिस कारण वह आग में घी डालने का कार्य कर रहे हैं। हैदराबाद की बेशुमार संपत्ति की बात की जाए तो यह पूरा मामला अपने आप में सवाल खड़ा करता है। लेकिन विवाद की असल शुरुआत स्वामी सत्यानंद द्वारा एक महिला को छेड़ने पर उन्हे हरिद्वार से नासिक भेजने के बाद ही शुरू हो गयी थी। जिसके बाद दोनों पक्षों में मीडिया के माध्यम से आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए थे। अब देखना यह है कि भारतवर्ष में फैली अखाड़े की विभिन्न शाखाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले श्रीमंहत कब भेख एवं समाज के सामने आकर इस मामले को सुलझाने के लिए प्रयास करते हैं। अथवा उनकी भी कोई ऐसी कमजोरी है जिस कारण वह कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। मोहनदास प्रकरण में तत्कालीन अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ब्रह्मलीन महंत नरेंद्र गिरि महाराज की मांग एवं मुख्यमंत्री के आग्रह पर भी अखाड़े के संतों ने सीबीआई जांच से इंकार कर दिया था। और अब वही संत इस प्रकरण की दोबारा सीबीआई जांच की मांग कर हंसी का पात्र बन रहे हैं। ज्ञात हो कि संपत्ति विवाद के चलते हरिद्वार में पहले भी कई संतों की हत्या हो चुकी है। यदि मामला इसी प्रकार दिन-प्रतिदिन गहराता चला गया तो किसी भी अनहोनी घटना घटित होने से इनकार नहीं किया जा सकता।