धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल ना बनाएं सरकार
हरिद्वार। श्री भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार से मांग की है कि उत्तराखंड के समस्त तीर्थ क्षेत्र के 15 किलोमीटर की परिधि में सख्ती से मांस मदिरा का प्रयोग वर्जित किया जाए ताकि देवभूमि की परिभाषा को सारगर्भित रखा जा सके और कठोरता से नियमों का पालन पर्यटक भी कर सके। प्रेस को जारी बयान में स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि केंद्र सरकार हमारे प्राचीन स्थलों को पर्यटक स्थल ना बनाकर इनके अध्यात्मिक व प्रकृति स्वरूप को मर्यादाओं के अनुकूल संरक्षित रखें। उत्तराखंड की देवभूमि भारत की संस्कृति प्रकृति एवं अध्यात्म का संगम है। केदारनाथ त्रासदी के बाद भी सरकार सजग नहीं हुई जिसके बाद जोशीमठ में घटित हुई घटना भारी त्रासदी है। दुर्भाग्य की बात यह है कि सरकार की आंख जब खुलती है जब घटना घटित हो जाती है। उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए कोई भी सरकार आपदा से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है। शासन-प्रशासन दोनों ने ही मर्यादाओं का हनन करके और पाश्चात्य सभ्यता का परिचय देकर ना तो प्रकृति से प्यार किया और ना ही अपने कार्य के प्रति इमानदारी निभाई यही सोच यही विचार प्रकृति एवं संस्कृति के लिए प्रश्नचिन्ह लगाती है। धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना प्राकृतिक आपदाओं को निमंत्रण दे रहा है। उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि धर्म स्थलों का संरक्षण संवर्धन करते हुए उन्हें पर्यटन स्थल घोषित ना किया जाए। जिससे धर्म एवं संस्कृति की रक्षा हो जोशीमठ में भगवान नरसिंह का अति प्राचीन मंदिर है और ज्योतिष पीठ भी स्थापित है। जिसकी स्थापना स्वयं भगवान आदि शंकराचार्य ने की थी राज्य सरकार जल्द से जल्द वहां के लोगों की रक्षा के लिए कार्य करें और धर्म स्थलों की सुरक्षा के लिए समाधान सुनिश्चित करें।