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मीडिया राजनीतिक संभावनाओं को तराशने का सबसे सशक्त और सार्थक उपकरण : नीधीश त्यागी


-अच्छा श्रोता होना आपको दूसरों की नजरों से दुनिया देखने का एक मौका देता है : अरूण सर्राफ

हरिद्वार। आज के दौर में मीडिया राजनीतिक संभावनाओं को तराशने का सबसे सशक्त और सार्थक उपकरण बन गया है। यह आपके एक संदेश को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सीधे तौर पर लगभग 700 करोड़ लोगों तक पहुंचाता है। जिसका दूरगामी प्रभाव आपके जीवन पर पड़ता है। ये बात अग्रवाल वैश्य समाज हरियाणा द्वारा हरिद्वार में आयोजित युवा एवं छात्र इकाई के प्रशिक्षण शिविर के प्रथम सत्र में प्रख्यात पत्रकार नीधीश त्यागी ने कही। स्थानीय निष्काम सेवा ट्रस्ट में आयोजित इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में युवाओं की राजनीतिक पौध तैयार करने के लिए 5 सत्रों का आयोजन किया गया है। प्रथम सत्र का विषय मीडिया एवं डिजीटल मीडिया प्रबंधन रखा गया था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में भारतीय मीडिया परिदृश्य काफी बदल गया है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति के साथ, डिजीटल मीडिया ने काफी तेजी से विस्तार किया है। तेजी से बढ़ते मीडिया परिदृश्य ने कुछ अंतर्निहित परिणामों और चुनौतियों को भी जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि अगर आप राजनीति में अपना स्थान बनाना चाहते हैं तो मीडिया का आपके लिए ओर अधिक महत्व बढ़ जाता है। ये सच है कि भारतीय राजनीति बदल रही है और परिवर्तनों के इस दौर में लोगों के साथ जुडऩे के लिए मीडिया सबसे बेहतर साधन है।
नीधीश त्यागी ने युवाओं को राजनीति और मीडिया के परस्पर संबंधों पर टिप्स देते हुए कहा कि आधुनिक समय में, मीडिया या फिर डिजीटल मीडिया राजनीति का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। इसलिए युवा वर्ग को इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे ज्यादा युवा देश है क्योंकि यहां की कुल आबादी में लगभग 70 करोड़ यानी 50 प्रतिशत युवा है। उन्होंने कहा कि युवा अपनी ऊर्जा का सकारात्मक प्रयोग करें और अपने राजनीतिक कैरियर का निर्माण करने के लिए मीडिया पर पकड़ बना कर रखे क्योंकि मीडिया आपकी अनंत राजनीति संभावनाओं का द्वार है।
प्रथम सत्र की समाप्ति पश्चात शिविर का दूसरा सत्र आरंभ किया गया। जिसका विषय ‘श्रोता बनना क्यों जरूरी?’ रहा है। इस सत्र में कौशल विकास विशेषज्ञ अरूण सर्राफ ने अपने अनुभवों से युवाओं को श्रोता बनने के लिए प्रेरित किया। अरूण सर्राफ ने कहा कि जितना जरूरी हमारा बोलना है, उतना ही जरूरी हमारा सुनना बनना है। यदि हम दूसरों की बात को सुनना पसंद नहीं करते तो ये हमारे व्यक्तित्व की संकीर्णता को प्रदर्शित करता है। अरूण सर्राफ ने कहा कि अच्छा श्रोता होना आपको दूसरों की नजरों से दुनिया देखने का एक मौका देता है। यह आपकी समझ और सहानभूति की क्षमता को बढ़ाता है। यह आपको अपनी संवाद क्षमता को बढ़ा कर अपने संपर्कों को बढ़ाने में भी सहायता करता है।
अरूण सर्राफ ने कहा कि सुनना एक कला है, जिसे अपने भीतर विकसित किया जाए तो इससे जीवन में सफलता की सीढिय़ां आसान हो सकता है। जिस व्यक्ति में सुनने की कला होती है वह दूसरों के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने में हमेशा सफल होता है। सुनना एक जटिल संवाद प्रक्रिया है, जो ध्वनि तरंगों को सुन लेने मात्र से अधिक है। इस दौरान वक्ता और श्रोता को शारीरिक व मानसिक उपलब्धि, वक्ता द्वारा श्रोता तक संदेश का सही प्रतिपादन, श्रोता द्वारा संदेश को याद रखे जाने और उस पर श्रोता की प्रतिक्रिया आदि कुछ बातें अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस तरह हमें सफल जीवन के लिए स्वयं के भीतर एक अच्छे श्रोता के गुण विकसित करने चाहिए।
आज के दूसरे एवं अंतिम सत्र की समाप्ति पश्चात समाज के प्रदेश अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि निश्चित तौर पर आज के दोनों सत्र समाज के युवाओं के व्यक्तित्व एवं नेतृत्व विकास के लिए अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अग्रवाल वैश्य समाज अपने लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसी सोच के अंतर्गत ये प्रशिक्षण शिविर आयोजित रखा गया है। इस मौके पर उन्होंने दोनों वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर उपाध्यक्ष पवन अग्रवाल अम्बाला, वेदप्रकाश जैन गोहाना, मीडिया कॉर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन हरिओम मित्तल भाली, प्रदेश महासचिव राजेश सिंगला, युवा एवं छात्र इकाई के प्रभारी विकास गर्ग, वरिष्ठ उपमहामंत्री अमरनाथ गुप्ता, प्रदेश मंत्री मुकेश बंसल, प्रवक्ता सुमित गर्ग हिंदूस्तानी, युवा प्रदेश अध्यक्ष नवदीप बंसल, युवा प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं शिविर संचालक हिमांशु गोयल, छात्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष दीपांशु बंसल, प्रेमचंद गर्ग रोहतक, बलराम गुप्ता दादरी, प्रवीण गर्ग फरीदाबाद, रमेश अग्रवाल बल्लभगढ़, अशोक गर्ग कुरूक्षेत्र, युवा महामंत्री वेदप्रकाश गर्ग, रवि गर्ग बधवानिया, छात्र इकाई के प्रदेश महामंत्री आकाश चाचाण, गौरव गोयल सहित प्रदेश के कोने-कोने से आए अनेक युवा उपस्थित रहें।

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